‘स्लमडॉग’ बाल कलाकार रुबीना की बोली लगी!

सोमवार, 20 अप्रैल 2009


मुंबई के झुग्गी-झोपड़ियों पर आधारित बनी फिल्म ‘स्लमडॉग मिलिनियर’ की मशहूर बाल कलाकार रुबीना अली को उसके बाप के ऊपर ही बेचने का आरोप लगा है। क्या ऐसा हो सकता है।
दरअसल लंदन की एक वेबसाइट ने ये सनसनीखेज खुलासा किया कि रुबीना के पिता उसे बेचने की पूरी तैयारी कर ली थी। सबूत के तौर वेबसाइट ने एक स्टिंग ऑपरेशन भी जारी किया। वेबसाइट के मुताबिक स्टिंग के जरिए रुबीना के पिता को रंगे हाथों कैमरे में कैद किया है।
बेबसाइट का दावा है कि रुबीना के पिता रफीक ने रुबीना को बेचने के ऐवज में 2 लाख पाउंड यानी करीब 1 करो़ड़ 80 लाख रुपए की मांग की।
वेबसाइट के मानें तो रफीक ने स्टिंग के दौरान ये बार-बार कह रहा था कि रुबीना के बेचे जाने के लिए हॉलीवुड के डॉयरेक्टर जिम्मेदार हैं। स्टिंग में रुबीना के पिता के साथ उसके चाचा भी इस ड़ील में हिस्सा लेते देखे गए।
वेवसाइट ‘न्यूज ऑफ द वर्ल्ड’ में मुताबिक रिपोर्टर ने अपना नाम बदलकर दुबई के शेख बनकर रुबीना के पिता से मिले और रुबीना को गोद लेने की बात की।
अगर वेबसाइट के दावे पूरी तरह से सच निकले तो इससे घिनौनी करतूत एक पिता के लिए और कुछ नहीं हो सकती। जिसे कतई माफी नहीं दी जा सकती।

सौरव हुए फिर साजिश के शिकार

शुक्रवार, 17 अप्रैल 2009


देश हो या विदेश सौरव गांगुली के क्रिकेट का सफर हमेशा से चुनौतियों से भरा रहा है। लेकिन हमेशा सौरव से चुनौतियां का डटकर सामना किया है और मुंहतोड़ जवाब दिया है। यूं कहें दादा का एक खिलाड़ी के तौर पर, एक कप्तान के तौर पर हमेशा चुनौतियां से चोली-दामन का रिश्ता रहा हो। एकदिवयसीय और टेस्ट से विदाई के बाद अब दादा को आईपीएल से भी किनारा करने की रोटियां पक रही है। जब दादा भारत से दक्षिण अफ्रीका रवाना हुए थे तो एक कप्तान की भूमिका को साथ लिए। लेकिन साजिश ने उनका साथ विदेशों में भी नहीं छोड़ा। दरअसल कोलकाता नाइटराइडर्स की कप्तानी से सौरव गांगुली की छुट्टी कर दी गई है। उनकी जगह न्यूजीलैंड के ब्रैंडन मैक्कलम को टीम का नया कप्तान बनाया गया है।
इसकी खबर की पुष्टि करते हुए टीम के कोच जॉन बुकानन ने कहा कि मैक्कलम टीम के लिए सबसे बेहतर हैं। विरोधियों से बचने के लिए बुकानन से कहा हम कोलकाता के लोगों की नाराजगी समझते हैं लेकिन हमने टीम के हित में फैसला लिया हूं।

ब्रैंडन मैक्कलम न्यूजीलैंड टीम के बल्लेबाज हैं। टी-20 फॉर्मेट में अच्छे फिट बैठते हैं। टी-20 में सबसे तेज शतक जमाने का रिकॉर्ड मैक्कलम के ही नाम है। शायद इस बड़ा उलटफेर की बुनियाद भारत में ही रची गई होगी। विरोध से बचने के लिए दक्षिण अफ्रीका में ये शिगूफा छोड़ा गया।
गांगुली की कप्तानी छीनने को टीम के मालिक शाहरुख खान ने टीम हित में बताते हुए कहा कि हर इंसान का एक दौर होता है और उसके बाद उसकी भूमिका बदल जाती है। सौरव अब नई भूमिका में नजर आएंगे। लेकिन वो भूमिका क्या होगी इसका उन्होंने खुलासा नहीं किया।
जो भी सौरव देश की जनता के दिलों में हमेशा बने रहेंगे। उन्होंने क्रिकेट को एक नया आयाम दिया है। सौरव से बेहतर कप्तानी पूरी दुनिया ने देखी है और वो एक सफल कप्तान हैं।

हॉट फ्रीडा पिंटो का जादू नहीं चला


ग्लैमरस, फैशन और फिल्म जगत की फेसम मैगजीन 'वैनेटी फेयर' ने हॉलीवुड एक्ट्रेस एंजेलिना जॉली को विश्व की सबसे सुंदर महिला चुना है। इस कम्पीटिशन में विश्व के तमाम देशों सुन्दरियां भी थीं। भारत की ओर से इस दौड़ में फिल्म ‘स्लमडॉग मिलेनियर’ से सुर्खियों में आई हॉट अभिनेत्री फ्रीडा पिंटो भी थीं। लेकिन अंतिम दौर तक नहीं पहुंच पाईं। फ्रीडा पिंटो संयुक्त रूप से पांचवें स्थान पर रहीं।
मैगजीन द्वारा कराए गए सर्वे के मुताबिक चर्चित हॉलीवुड एक्ट्रेस एंजेलिना जॉली को 58 फीसदी लोगों ने सबसे सुंदर महिला के लिए वोटिंग किया। जबकि सुपरमॉडल गिसेले बंडकेन को महज नौ फीसदी वोट मिले। वहीं बंडकेन दूसरे स्थान पर रहीं।
हॉलीवुड की एक अन्य चर्चित एक्ट्रेस हेली बेरी तीन फीसदी मत के साथ तीसरे पायदान हासिल कीं।

इन सबके बीच मुंबई की झुग्गी-झोपड़ियों पर बनी फिल्म 'स्लमडॉग मिलियनेयर' की अभिनेत्री फ्रीडा पिटों, कैथरीन डेनेव्यू, नातालिया वोदियानोवा, जियी झांग, बियोंसे नोल्स और केट ब्लिंकेट के साथ पांचवें स्थान पर रहीं।

भूखी आधी आबादी है। ये कैसी आजादी है?

मंगलवार, 14 अप्रैल 2009

भूखी जनता सूखे खेत, वादों से नहीं भरता पेट।
जनता हो गई होशियार, वादा नहीं चाहिए रोजगार।।

5 साल बाद फिर आई है जनता की बारी।
केवल वादे करने वाले, कर लें जाने की तैयारी।।

अब ना चलेगी किसी तरह की कोई मनमानी।
क्योंकि देश की जनता ने सबक सिखाने को ठानी।।

आने वाले ने नए चेहरों से भी यही है कहना।
जनता की मांगों पर सबसे पहले गौर करना।।

जनता नहीं चाहती नारे और शोर।
वरना खींच डालेगी की कुर्सी की डोर।।

हर पार्टी से जनता की है गहरी नाता।
चुनाव-चिह्न नहीं, उन्हें रोटी और रोजगार भाता।।

देश की जनता से भी एक अर्जी।
वोट डालकर, जाहिर कर देना अपनी मर्जी।।

क्योंकि...भूखी आधी आबादी है। ये कैसी आजादी है?

मां का दर्द

मंगलवार, 7 अप्रैल 2009

वरुण गांधी आज एक ऐसा चेहरा बन गया है। जो इस चुनावी-संग्राम में पक्ष-विपक्ष के लिए सबसे पहला मुद्दा है।
वरुण के जह्न में भी कभी नहीं आया होगा कि उनका बयान उन्हें हीरो और विलेन दोनों रूप में प्रस्तुत करेगा। एक छोटी से लेकर बड़ी राजनीतिक पार्टियां वरुण मुद्दे को भुनाने में लगी है। दरअसल पहले तो उत्तर प्रदेश सरकार ने चुप्पी साध रखी। लेकिन जब चुप्पी तोड़ी तो एक नया रूप देखने को मिला। दरअसल राज्य सरकार के समक्ष एक समस्या आ गई कि इस मुद्दे पर अगर कड़े कदम नहीं उठाए गए तो जनाधार में बट्टा लग सकता है और आनन-फानन में वरुण रासुका लगा दिया गया।

वहीं समाजवादी पार्टी और कांग्रेस एक ही राग जप रही है कि इसके पीछे बसपा और बीजेपी की मिलीभगत है। खुद बीजेपी वरुण को लेकर पशोपेश में पड़ी है। उसे ये भी पता है कि वरुण मुद्दे पर पीलीभीत के हिन्दुओं की ही नहीं पूरे सूबे में अपना खोया जनाधार को फिर से पाया जा सकता है।
लेकिन राष्ट्रीय मुद्दा बनाने में हिचकिचा रही है। क्योंकि कहीं सहयोगी रूठ न जाएं।
मालूम हो कि वरुण मामले पर जदयू नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। जबकि दूसरी ओर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अलपसंख्यकों को अपने वोट वैंक की कतार में जोड़ने में लगे हैं। और उन्होंने ऐलान कर दिया है कि उन्हें मध्यप्रदेश ना तो वरुण चाहिए ना ही वरुण का बयान उनके लिए कोई मुद्दा है।

लेकिन इन सबके बीच गांधी परिवार के लाडले वरुण कानून के शिकंजे में घिरते जा रहे हैं। उन्हें राजनीतिक कारणों से या सुरक्षा को ध्यान में ऱखते हुए पीलीभीत की जेल से एटा जेल में शिफ्ट कर दी गई है। जहां उन्हें कई बंदिशों का सामना करना पड़ रहा है। एक आम कैदी की तरह जेल के खान-पान से ही संतुष्ठ होना पड़ रहा है। देखिए, मौके की नजाकत को भांपते हुए शिवसेना ने तो यहां तक कह दिया कि वरुण में संजय गांधी की झलक दिखती है और हिन्दुओं के लिए ये गौरव की बात है।

लेकिन एक मां दर्द.. जी हां, मेनका गांधी कहती हैं कि सूबे की मुख्यमंत्री क्या जानें एक मा का दर्द। मेनका को लगता है कि उनके लाडले को राजनीतिक साजिश की तहत जेल में डाला गया है और रासुका जैसा कानून लगाया है। मेनका के इस बयान पर सूबे की मुखिया ने चुप्पी तोड़ी और पलटवार करते हुए कहा कि मेनका को एक बेटे का ख्याल है। लेकिन वो तो पूरे देश के मांओं की दर्द को समझती हैं। मायावती ने मेनका को नसीहत देते हुए कहा कि अगर केवल जन्म देने से मां का ममता एहसास होता तो आज मदर टेरेसा पूरे विश्व के लिए ममता और प्यार के लिए नहीं जानी जातीं। माया ने वरुण के परवरिश पर ही सवाल खड़े कर दिए, कहा- अगर वरुण को सही परवरिश दी गई होती हो वो इस तरह के सांप्रदायिक बयान नहीं देते।
जो भी इस पूरे खेल में गांधी परिवार, राजनीति, कानून और मां का दर्द साफ-साफ छलकता है।