मुबारक के बाद अब मिस्र का क्या होगा?

शुक्रवार, 11 फ़रवरी 2011

मिस्र में 18 दिनों के सत्ता विरोधी प्रदर्शन के बाद आखिरकार राष्ट्रपति हुस्नी मुबारक ने अपना पद छोड़ दिया है और देश की सत्ता सेना के हाथों में सौंप दी है। मुल्क के उपराष्ट्रपति उमर सुलेमान ने शुक्रवार को टीवी पर दिए गए बयान में इसका ऐलान किया। इस खबर के फैलते ही मिस्र में जश्न शुरू हो गया है। काहिरा में मौजूद लाखों प्रदर्शनकारियों ने नारे लगाकर, झंडे फहराकर और कारों का हॉर्न बजाकर अपनी खुशी का इजाहर किया।

मुबारक का राष्ट्रपति पद छोड़ना मिस्र की जनता की पहली जीत है । लेकिन लोकतंत्र की इस लड़ाई में आगे और कई पड़ाव हैं और चुनौतियां भी। साथ ही मध्यपूर्व के दूसरे देशों के लिए भी ये क्रांति एक आइना है।

मिस्र की जनता ने पहली जीत तो जीत लिया है, लेकिन स्याह अतीत और सुनहरे वर्तमान के बाद सुखद भविष्य की गारंटी अभी भी नहीं। मुबारक तो चले गए। लेकिन इसके बाद क्या होगा? क्योंकि मुबारक अपने पीछे छोड़ गए हैं एक ऐसा तंत्र जिसकी कमान फौज के हाथ में है। ऐसे में पांच सवाल उभर कर आ रहे हैं।

1. क्या फौज संविधान संशोधन और राजनीतिक सुधार की प्रकिया को आगे लेकर जाएगी?
2. क्या लोकतांत्रिक संस्थानों को बल मिलेगा,
3. क्या देश में जल्द निष्पक्ष चुनाव कराए जाएंगे,

4. क्या सत्ता की कमान किसी लोकप्रिय चेहरे के हाथों होगी?
4. कहीं नासेर, सदात और मुबारक की तरह कोई फौजी ही तो आगे चलकर राषट्रपति और फिर तानाशाह तो नहीं बन जाएगा?

लोग तमाम तरह के कयास लगा रहे हैं। जानकारों की मानें तो एक तरीका ये है कि लोकतंत्र समर्थक नेता अल बरदेई, एल घाद पार्टी के एयमन नूर या फिर कोई आम आंदोलनकारी को मुल्क की अगुवाई करने का मौका दिया जाए। लेकिन ये सब इस पर निर्भर करेगा कि सत्ता हस्तांतरण को लेकर अलकायदा और इस्लामिक कटटरपंथ के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका अपने अहम सहयोगी मिस्र पर किस तरह का दबाव बनाता है।

जानकारों के मुताबिक मुमकिन है कि किसी राष्ट्रीय एकता गठबंधन की अंतरिम सरकार बने। साथ ही राष्ट्रपति पद के कार्यकाल और संविधान संशोधन को तय करने के लिए जनमत संग्रह भी हो।

लेकिन सवाल ये भी है कि उपराष्ट्रपति और 30 साल से मुबारक की परछाई रहे उमर सुलेमान की क्या भूमिका रहेगी? मुबारक के सिक्रेट सर्विस के लंबे समय तक मुखिया रहे सुलेमान अपने अमानवीय हथकंडो की वजह से भी चर्चा में रहे हैं। सीआईए के नज़दीकी सहयोगी रहे सुलेमान क्या सत्ता पर दावा करेंगे? कहीं मिस्र बांग्लादेश, बर्मा और पाकिस्तान की तरह सैन्य सरकार के फंदे में तो नहीं फंस जाएगा?

अमेरिका को इस बात की भी चिंता है कि अब मुबारक के जाने के बाद कहीं पूरे क्षेत्र में अमेरिका और इजरायल विरोधी भावनाओं को बल ना मिले। अमेरिका मुस्लिम ब्रदरहुड जैसे इस्लामिक संगठन के हाथ में सत्ता पसंद नहीं करेगा। मिस्र को फिलहाल एक सवाल का जवाब जरूर मिल गया है। लेकिन अभी कई और सवालों का जवाब ढूंढना है।

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