वैज्ञानिक खान खोले पाक के पोल

रविवार, 20 सितंबर 2009


इस्लामाबाद। पाकिस्तान के विवादास्पद न्यूक्लियर साइंटिस्ट अब्दुल कदीर खान के एक खुलासे ने दुनिया को हिला कर रख दिया है। खुद को बचाने के लिए अब्दुल कदीर खान ने जो कुछ किया उससे एक झटके में पाकिस्तान सरकार और पाकिस्तानी सेना का असली चेहरा दुनिया के सामने आ गया। अब्दुल कदीर खान को गिरफ्तार कर घर में नजरबंद करना पाकिस्तान को महंगा पड़ गया।

अब्दुल कदीर खान ने खुलासे में कहा कि उन्होंने बेनजीर भुट्टो के इशारे पर परमाणु प्रसार कार्यक्रम के दौरान चीन, ईरान, नॉर्थ कोरिया और लीबिया को ब्लू प्रिंट्स और इक्विपमेंट दिए थे। यह खुलासा भारत के स्टैंड को मजबूत करता है।

संडे टाइम्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, दिसंबर 2003 में अपनी गिरफ्तारी के बाद 74 साल के ए क्यू खान ने अपनी डच पत्नी हेनी को पाक नेतृत्व के बारे में चार पेज का सीक्रेट लेटर लिखा था, जो साइमन हेंडरसन नामक जर्नलिस्ट के हाथ लग गया था। हेंडरसन ने इसे आम कर दिया है।

पत्र में लिखा है कि बीबी (बेनजीर भुट्टो, जो 1988 में पीएम थीं) और इम्तियाज (बेनजीर के डिफेंस अडवाइजर) ने मुझसे ईरानियों को कुछ सामग्री देने के लिए कहा था। पहले हमारा इस्तेमाल किया और अब हमारे साथ गंदे खेल खेले जा रहे हैं। अगर सरकार मेरे साथ कोई गड़बड़ करे तो तुम कड़ा रुख अपनाना।

एक सनसनीखेज खुलासे मे खान ने माना है कि पाकिस्तान ने ईरान, लीबिया और उत्तर कोरिया को परमाणु तकनीक दी है। खान ने इस खबर की भी पुष्टि की है कि बेनजीर भुट्टो इस पूरी साजिस के केंद्र में थी और उनके कहने पर ही ए क्यू ने तमाम वैज्ञानिक दस्तावेज ईरान को मुहैया कराए।

ए क्यू खान के इस खुलासे ने चीन के दामन पर भी दाग लगाए हैं। खान का कहना है कि बम बनाने में चोरी छिपे चीन के साथ भी लेन देन हुई थी। ए क्यू खान ने ये खुलासा एक चार पेज की चिठ्ठी में किया है जो उसने अपनी विदेशी डच बीवी को लिखा।

आखिर कौन-सी मजबूरी थी जिसके चलते कदीर खान ने अपने देश के लिए ये सनसनीखेज खुलासे किए। जिस बम से दुनिया को तबाह किया जा सकता है। उस बम को बनाने वाला खुद डरा हुआ है। उसे अपनी जान की फिक्र है।
दरअसल अमेरिका पर आतंकी हमले के बाद दुनिया के सभी मुल्कों के रिश्ते नए सिरे से बनने-बिगड़ने लगे। अल कायदा को सबक सिखाने पर तुले अमेरिका को ऐसे में पाकिस्तान की जरूरत थी। अमेरिका इस बात से भी खौफजदा था कि कहीं अल कायदा के हाथ परमाणु हथियार न लग जाए। इसलिए पाकिस्तान से संबंध रखने के बावजूद अमेरिका ने पाकिस्तान के परमाणु तकनीक से अपनी नजर नहीं हटाई।

अमेरिका जानता था कि पाकिस्तान अगर चाहे तो आतंकियों के हाथ कभी भी परमाणु बम लग सकता है। इसलिए पाकिस्तान पर दबाव डालकर अब्दुल कदीर खान पर शिकंजा कसा गया। अपनी सरकार का नजरिया बदलते ही कदीर खान सकते में आ गए। खुद की गिरफ्तारी के बाद अपने बचाव के लिए उन्होंने डच बीवी को खत लिखकर अपनी बात रख दी।

झुके थरूर, मांगी माफी

शुक्रवार, 18 सितंबर 2009


इकोनॉमी क्लास को "कैटल क्लास" बताने के बाद कड़ी आलोचना का शिकार बने विदेश राज्यमंत्री शशि थरूर ने माफी मांग ली है।

विदेश मंत्रालय ने राज्यमंत्री के बयान पर गुरुवार रात अपनी प्रतिक्रया में कहा कि उन्होंने इस बारे में खेद जताया है, उनका इरादा किसी की भावनाओं को आहत करना नहीं था। मंत्रालय ने कहा कि उनके शब्दों को गलत अर्थ निकाला गया।

मालूम हो कि विदेश राज्यमंत्री शशि थरूर लाइबेरिया की आधिकारिक यात्रा पर गए हैं। उन्होंने अपने संदेश में कहा कि उनका मकसद इकोनॉमी श्रेणी में यात्रा करने वालों का अपमान करना नहीं था।

मालूम हो कि एक सामाजिक नेटवर्किंग साइट पर थरूर ने एक सवाल के जवाब में अपना ये तर्क रखा था। जिसके बाद उनकी कड़ी आलोचना हुई। खुद की पार्टी के लोग उनकी इस टिप्पणी से अपने को किनारा कर लिया।

कांग्रेस प्रवक्ता जयंती नटराजन ने तो इस थरूर के बयान को बचकाना बयान करार दिय़ा। उन्होंने कहा कि ये बयान पार्टी को अस्वीकार्य है।

दरअसल थरूर विदेशी यात्रा पर अभी लाइबेरिया गए हैं। इस पूरे मामले पर माफी मांगते हुए थरूर ने कहा कि ये सबक उन्हें हमेशा याद रहेगा और आगे से वो ऐसा मजाक नहीं करेंगे।
इसके अलावा थरूर ने अपनी लाइबेरिया यात्रा पर लाइबेरियाई राष्ट्रपति से हुई मुलाकात को भी सफल बताया। थरूर ने कहा की पिछले 38 साल में ये पहली बार है जब कोई भारतीय प्रतिनिधि वेस्ट अफ्रीकी देश गया हो।

राहुल की सुरक्षा में सेंध!

मंगलवार, 15 सितंबर 2009

पानीपत। लुधियाना से दिल्ली लौटते वक्त कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी की ट्रेन पर पथराव हुआ। पथऱाव में ट्रेन की तीन बोगियों के शीशे चकनाचूर हो गए। लेकिन अच्छी बात ये रही कि राहुल गांधी समेत किसी भी यात्री को चोट नहीं आई। पथराव की यह घटना हरियाणा में करनाल और पानीपत स्टेशनों के बीच घरौंदा कस्बे के पास रात लगभग 9.45 बजे घटी।
दरअसल कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और अपनी मां की किफायत की नसीहत पर चलते हुए मंगलवार को राहुल गांधी ने दिल्ली से लुधियाना की यात्रा अमृतसर-नई दिल्ली शाताब्दी एक्सप्रेस के चेयर कार में तय की थी। वे वापस भी इसी ट्रेन से दिल्ली लौट रहे थे लेकिन रास्ते में ये घटना हो गई।
खबर के मुताबिक ट्रेन पर पथराव पानीपत के करीब घोकरुंडा में एक क्रॉसिंग के पास हुआ। नॉर्दर्न रेलवे के प्रवक्ता के मुताबिक घटना के वक्त ट्रेन की स्पीड महज 20 किलोमीटर थी। लेकिन पत्थर इतने जोर से फेंके गए थे कि वो ट्रेन के शीशे को तोड़ते हुए बोगियों में आ गिरे। जिन बोगियों को पथराव से नुकसान हुआ वो हैं सी-2, सी-4 और सी-7। जबकि राहुल गांधी सी-3 में सफर कर रहे थे।
हालांकि इस घटना में किसी यात्री के घायल होने की खबर तो नहीं है लेकिन यात्रियों में इस घटना से दहशत जरूर हो गई थी।
मालूम हो कि राहुल गांधी लुधियाना में यूथ कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संबोधित कर दिल्ली लौट रहे थे। यही नहीं, फिजूलखर्ची रोकने की मुहिम के तहत राहुल गांधी ने ट्रेन की ये यात्रा की थी।

राहुल की रेल पर पथराव के मामले में पुलिस अभी तक अंधेरे में ही हाथ पांव मार रही है। चूंकि ये मामला राहुल गांधी से जुड़ा हुआ है। इसलिए हरियाणा पुलिस ने मामले की छानबीन के लिए फॉरेंसिक एक्सपर्ट की मदद ली है। नई दिल्ली स्टेशन पर बुधवार सुबह ही फॉरेंसिक एक्सपर्ट की एक टीम पहुंच गई। इस टीम ने स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस का मुआयना किया और पथराव की वजह से टूटे खिड़कियों के शीशे से नमूने लिए। इस टीम ने मौके से मिले पत्थर की भी जांच की है।

राहुल गांधी देश की चंद बड़ी हस्तियों में से एक हैं। राहुल जैसी सुरक्षा व्यवस्था देश के गिने-चुने लोगों को नसीब है। लेकिन इसके बावजूद राहुल गांधी की रेल पर पथराव होता है और सुरक्षा एजेंसियां ये तक पता नहीं कर पातीं कि वो कौन सी जगह है जहां से पथराव किया गया? कौन थे पथराव करने वाले। उनका मकसद क्या था?