क्यों टूट रहे हैं शादी के अटूट बंधन?

शुक्रवार, 19 जून 2009

कहते हैं जोड़ियां ईश्वर के दरबार में बनती हैं। पति-पत्नी का अटूट रिश्ता कुदरत पहले से तय कर देता है। शायद इसीलिए इस नाजुक और अटूट रिश्ते को दुनिया का सबसे पवित्र बंधन कहते हैं।

लेकिन बड़े शहरों में जिस तरह हर रोज ईश्वर के बनाए रिश्ते तार-तार हो रहे हैं। पति-पत्नी के जन्मों का साथ अधर में ही छूट रहा है। जिससे शादी का बंधन कमजोर पड़ता जा रहा है। इसके बढ़ते मामले ज्यादातर महानगरों में दिखाई पड़ रही है।

आपको हैरानी होगी कि आईटी सिटी बैंगलोर में रोजाना 20 से भी ज्यादा तलाक के मामले दर्ज हो रहे हैं। 10 हजार शादीशुदा जोड़ों के मामले कोर्ट में सुनवाई की कतार में हैं।

लेकिन आज की इस भागती दौड़ती जिंदगी में इंसानों के लिए शायद ऊपर वाले के बनाए इस रिश्ते के भी कोई मायने नहीं रह गए हैं। जन्म-जन्म तक साथ रहने की कसमें अब छोटी सी बात पर भुला दी जाती है।

देश में प्रतिभावान लोगों का शहर माने जाने वाले आईटी सिटी बैंगलोर की एक कड़वी हकीकत बयां कर रहे हैं। यहां पिछले 6 महीने में 2 हजार से ज्यादा टूटे रिश्ते कुछ ऐसी ही कहानी बयां कर रही है। हैरानी वाली बात ये भी है कि ज्यादातर मामलों में तलाक की पहल पत्नियों की तरफ से की गई है।

शहरों में लगातार बढ़ रहे तलाक के मामले रिश्तों की परीक्षा ले रहे हैं। लेकिन देश की ये पढ़ी-लिखी पीढ़ी इस परीक्षा में फेल होती नजर आ रही है। जानकारों की मानें तो पैसों की चमक ने रिश्तों को कमजोर बना दिया है।

दरअसल आज महिलाएं इतनी आत्मनिर्भर हो चुकी हैं कि वो बिना हमसफर के जिंदगी गुजारने का माद्दा रखती हैं। महीने में लाखों रुपए कमाने वाला शौहर भी अपनी शरीके-हयात की रोज रोज की खिटपिट सुनने का आदी नहीं रहा। यानी दोष न लड़की का है और न लड़के का। दोष है हमारी बदलती हुई लाइफस्टाइल का।

शाइनी ने बॉलीवुड को किया कलंकित

बुधवार, 17 जून 2009

शाइनी आहूजा की पहचान बॉलीवुड में एक गंभीर एक्टर के रूप में हुआ करता है। कहा जाता है कि वो कोई भी काम को प्रोफेशनल तरीके से करते हैं। लेकिन फिलहाल जो धब्बा उनके ऊपर लगता दिख रहा है। वो सारी छवि को धूमिल कर देता है। दरअसल शाइनी पर नौकरानी के साथ बलात्कार का आरोप लगा है। ये वाकया 14 जनवरी का है।
अदालत में शाइनी बलात्कार की बात से मुकर गए लेकिन पुलिस का दावा है कि शाइनी ने अपनी नौकरानी के साथ बलात्कार की बात कबूली है। पुलिस का दावा है कि खुद शाइनी ने पूरी वारदात का खुलासा किया।
पुलिस के मुताबिक मामला पुलिस के पास पहुंचने से पहले ही शाइनी को इस बात का एहसास हो गया था कि उसने बहुत संगीन जुर्म को अंजाम दिया है और उसकी ये करतूत उसके मुंह पर कालिख पोत सकती है। यही वजह है की शाइनी ने नौकरानी को अपना मुंह बंद रखने के लिए उसे मनाने की हर संभव कोशिश की। इसके लिए शाइनी ने सारे हथकंडे अपनाए। खुद को बचाने के लिए और दुनिया के सामने अपनी साफ-सुथरी छवि बनाए रखने के लिए शाइनी अपना सब कुछ लुटाने के लिए तैयार था।
फिल्म एक्टर शाइनी आहूजा ने शायद रियल लाइफ को रील लाइफ की तरह ही समझ लिया था। फिल्मों में वो जितने कॉन्फिडेंट नजर आते हैं असल जिंदगी में भी उन्होंने वही आत्मविश्वास दोहराना चाहा। लेकिन वो भूल गए कि पर्दे की कहानी और असल जिंदगी की कहानी में बहुत फर्क होता है।
पेज-3 पार्टियों और देर रात तक शूटिंग में व्यस्त रहनेवाले शाइनी आहूजा की पुलिस लॉकअप में रातें मुश्किल से बीत रही हैं। जेल में ना तो एयर कन्डीशन की हवा है और न ही मखमली गद्दे। एशोआराम की जिंदगी बिताने वाला सितारा मामूली से जेल में अपना वक्त बिता रहा है।
मंगलवार शाम को शाइनी को अंधेरी थाने के लॉकअप से ओशिवारा पुलिस स्टेशन बुलाया गया। पुलिस शाइनी से बलात्कार के बारे में पूछताछ करती रही। मानसिक तौर पर थकाने के लिए शाइनी से एक बाद एक सैकड़ों सवालों की बौछार कर दी गई। सवाल कई तरीकों से और कई बार पूछे गए। पुलिस ये जानना चाहती थी की शाइनी के जवाब में कहीं विरोधाभास तो नहीं। इस पांच घंटे के दौरान कई पुलिस अफसर बारी-बारी से शाइनी से सवाल दाग रहे थे।
मुंबई पुलिस की फोरेंसिक टीम ने शाइनी के ओशिवारा स्थित फ्लैट से बेड शीट, तकिये का कवर, तौलिया और बाथरूम से साबुन, बाल्टी और शाइनी के कपड़ों के अलावा अंडर गारमेंटस को भी जब्त कर लिया है। पुलिस ने पीड़ित लड़की के कपड़ों को भी फोरेंसिक जांच के लिए भेज दिया है। पुलिस ने शाइनी का ब्लड और यूरिन टेस्ट भी करवाया है।
टेस्ट के नतीजों को फोरेंसिक टीम के द्वारा सीज़ किए उसके कपड़ों और घर से जब्त दूसरी चीजों से मिले नमूनों से मिलान किया जाएगा और अगर ये सारे सबूत शाइनी के खिलाफ जाते हैं तो उसका जुर्म साबित होने में ज्यादा देर नहीं लगेगी।

फिजा की गली में फिर चांद दिखा

सोमवार, 15 जून 2009

चांद और फिजा की खत्म होती प्रेम कहानी में एक बार फिर ट्विस्ट आ गया है। रविवार रात फिजा के घर के बाहर चांद समर्थकों और पुलिस के बीच हंगामा हुआ। चांद के समर्थकों का कहना है कि चांद मोहम्मद ने उन्हें एसएमएस किया था कि फिजा ने उन्हें किडनैप कर लिया है और उन्हें मदद चाहिए।चांद के समर्थकों का आरोप है कि वो उनसे मिलने आए थे लेकिन पुलिस ने उनपर गोलियां चलाईं। जो भी इन सबके बीच चांद और फिजा एक बार फिर साथ हो गए हैं। लेकिन अब चांद से मिलने पहुंचे युवकों ने आरोप लगाया है कि चांद मोहम्मद ने खुद को किडनैप किए जाने का मैसेज किया था। साफ है कि इस लव स्टोरी में ड्रामा अभी भी बाकी है।दरअसल हुआ कुछ यूं कि चांद मोहम्मद उर्फ चंद्रमोहन से कुछ युवक रात में ही उनसे मिलने फिजा के मोहाली वाले घर पर पहुंचे। युवक खुद को चंद्रमोहन उर्फ चांद मोहम्मद के समर्थक बता रहे थे। इसी दौरान वहां मौजूद पुलिस ने इन्हें रोक लिया। बहस होते-होते बात बढ़ गई और पुलिसकर्मी इन्हें गाड़ी में बिठाकर थाने ले जाने लगे।इसी बीच पुलिस वैन में ही गोली चली और एक लड़के के पैर में जा लगी। घायल लड़के का आरोप है कि एक पुलिसवाले ने इसके पैर में जानबूझकर गोली मारी। दूसरी तरफ पुलिस का इस मामले में कुछ और ही रुख है। पुलिस के मुताबिक युवकों ने पुलिस के साथ हाथापाई की जिसके दौरान गोली चली और युवक घायल हो गया।

मोहाली पुलिस ने फिज़ा के घर पर हुई फायरिंग के मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया है।
लेकिन आगे की कहानी इससे भी कहीं ज्यादा दिलचस्प है। इन युवकों का कहना है कि चंद्रमोहन ने इन्हें एक मैसेज किया था। मैसेज में चंद्रमोहन ने कहा था कि फिजा ने उन्हें किडनैप कर लिया है और उन्हें मदद की जरूरत है।पुलिस ने इस पूरे मामले के बाद चांद से भी बयान लेने का मन बना लिया है। इधर रविवार को जब चांद और फिजा चंडीगढ़ में मीडिया से रूबरू हुए थे तो चांद का चेहरा बुझा-बुझा सा दिख रहा था। चांद मोहम्मद ने फिजा से माफी मांगी। उन्होंने कहा कि अब वे फिजा को पहले से भी ज्यादा प्यार करेंगे।वहीं फिजा ने कहा कि उन्होंने चांद को माफ करने के बारे में अभी कोई फैसला नहीं लिया है। उन्होंने कहा कि चांद के खिलाफ पुलिस में दायर शिकायत को वापस लेने के बारे में भी फिजा ने कहा कि सोचकर बताऊंगी।चांद मोहम्मद ने कहा कि उन्होंने फिजा को तलाक नहीं दिया है। जब उनसे उनके पहले के बयानों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वे सब बयान उन्होंने दबाव में दिए थे।

अब वो दिन लदे, खादी पहने और बन गए नेताजी

बुधवार, 10 जून 2009

अब वो दिन गए कि खादी पहना और हाथ में झंडा लिए...और बन गए नेताजी। अब नेता को कसौटी पर खरा उतरना होगा। लगेगी उनकी क्लास और हुए पास तो फिर राजनीति की सफर में उनका स्वागत होगा। दरअसल इसकी शुरूआत छात्र नेता से की जा रही है और ये मिशन राहुल गांधी का है।
भले ही छात्र नेता बनने के लिए लिखित परीक्षा और इंटरव्यू सुनने में अजीब लगे। लेकिन नेशनल स्टूटेंड यूनियन ऑफ इंडिया यानी NSUI में यदि जगह चाहिए तो आपको इस परीक्षा से गुजरना पड़ेगा। जयपुर में शुरू हुआ एनएसयूआई का ये टैलेंट हंट प्रोगाम सफल रहा तो देशभर लागू होगा। ये ही है राहुल गांधी का मिशन यूथ।
चौंकिए मत देश की राजनीति में अभी इतना बड़ा बदलाव तो नहीं आया है। लेकिन बदलाव की शुरुआत जरूर हो चुकी है। अगर कोई छात्र NSUI के जरिए छात्र राजनीति में एक मुकाम हासिल करना चाहता है तो उसे रिटेन इक्जाम और इंटरव्यू से गुजरना होगा।
दरअसल इस इंटरव्यू में नामी-गिरामी इंस्टिट्यूट से पढ़ाई करने के बाद लाखों की नौकरी को छोड़ कर युवा सम्मिलित हो रहे हैं। और ऐसे युवाओं की मानें तो युवाओं का राजनीति में आना जरूरी है, तभी राजनीति में क्रांति आएगी।
इंटरव्यू में भाग लिए एक छात्र के मुताबिक पहले लिखित परीक्षा और फिर इंटरव्यू। इंटरव्यू पैनल में थे दो प्रोफेसर और एनएसयूआई की प्रदेश अध्यक्ष रंजू रामावत। पैनल की ओर से कई सवाल पूछे गए जो कि काफी कठिन और सोचनीय थी।
छात्र राजनीति के जरिए देश का नेता बनने का ख्वाब देखने वाले हर प्रोफेशनल के छात्रों हैं। मैनेजमेंट, बिजनैस एडिमिनेस्ट्रेशन या राजनीतिक से जुड़े छात्र एनएसयूआई में शामिल कर अपनी राजनीतिक भविष्य को तलाश रहे हैं।
परीक्षा में सफल होने वाले छात्रों को एनएसयूआई कार्यकारिणी में जगह दी जाएगी। फिर सबको एक टास्क दिया जाएगा। टास्क को पार करने के बाद रिजल्ट के आधार पर आगे जिम्मेदारी दी जाएगी। इस सबमें सफल होने वाले छात्रों को मिलेगा संगठन में पद। इतना ही नहीं नौकरी की तर्ज पर यहां बाकायदा
प्रमोशन, डिमोशन और डिसीप्लनरी एक्शन होगा। संगठन की प्रदेश अध्यक्ष रंजू रामावत का चयन भी खुद राहुल गांधी ने टैलेंट हंट के तहत ही किया था।
अगर राहुल गांधी का ये मिशन पूरा हुआ तो राजनीति की शक्ल सूरत ही बदल जाएगी। हर होनहार को जात-पांत से ऊपर उठकर देश की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने का मौका मिल सकता है। मकसद बस एक है जब प्रोफेशनल राजनीति को करियर बनाएंगे तो कई बुराईयां अपने आप ही खत्म हो जाएंगी।

प्यार, शादी, जिस्मफरोशी और फिर...मर्डर

सोमवार, 8 जून 2009

शादी सात जन्मों का रिश्ता होता है। लेकिन राजधानी दिल्ली में एक पत्नी ने अपने पति को मौत की नींद सुलाकर इस पवित्र रिश्ते को दागदार किया है। वजह चाहे जो भी हो, लेकिन शादी दो दिलों का मिलन होता है। दोनों साथ जीने-मरने की कसमें खाते हैं। लेकिन ये क्या इन्होंने तो साथ जीने-मरने के बजाय मारने-मरने पर आतुर हो गए।
आखिर सात जन्मों का बंधन इस मुकाम तक कैसे पहुंच गया। कैसे एक महिला ने खुद को अपने ही हाथों विधवा बना डाला। कैसे एक पत्नी ने बेरहमी से अपने ही पति की जान ले ली। दिल्ली के रोहिणी इलाके में एक शख्स की हत्या के बाद हर किसी की जुबान पर बस यही सवाल है।
लेकिन जब इन सवालों के जवाब मिले तो सब भौचक्के रह गए। अनिता ने पुलिस के सामने सरेंडर के बाद खुद ये मान चुकी है कि उसने अपने पति का कत्ल किया।
अनिता से पूछताछ के बाद पुलिस का दावा है कि अनिता के पति ने अपने घर के हालात सुधारने की खातिर शादी के कुछ महीनों बाद ही उसे जिस्मफरोशी के दलदल में धकेल दिया। हर रोज उसका पति नशे में धुत होकर घर आता और कुछ रुपयों के खातिर अपनी पत्नी के जिस्म का सौदा कर देता। लेकिन अनीता सब कुछ सहती रही।
आखिरकर जब उसे लगा कि बड़ी होने पर उसकी मासूम बेटी के साथ भी वही हो सकता है जो उसके साथ हो रहा है तो उसने अपने पति नवीन की चाकुओं से गोद कर उसकी हत्या कर दी।
अनिता के मुताबिक उसने काफी सोचने के बाद वो इस अंजाम तक पहुंचा। अनिता खुद ग्रैजुएट है और वो अपनी 6 साल की बेटी को भी दिल्ली के एक जाने-माने पब्लिक स्कूल में तालीम दिली रही है। हैरानी की बात ये है कि अनीता और नवीन ने लव मैरिज की थी। दोनों एक साथ एक पॉर्लर में काम करते थे और बाद में घरवालों की रजामंदी से शादी की थी।

अनिता की परिवार का अलग रोना है। परिवार के मुताबिक शादी के बाद दोनों ने हरियाणा जाकर एक ब्यूटी पॉर्लर खोला लेकिन जब पॉर्लर नहीं चला तो दोनों दिल्ली वापस आ गए और नवीन ने जल्दी अमीर होने के चक्कर में अपनी पत्नी का इस्तेमाल शुरू कर दिया। जिसका अंजाम ये हुआ।

आडवाणी को बीजेपी और संघ ने हरवाया

रविवार, 7 जून 2009

मजबूत नेता, निर्णायक सरकार...फिर भी करारी हार। हार का पोस्टमार्टम, रिपोर्ट गायब। रुठना, मनाना और फिर हिम्मत जुटाना। जां हां, लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद बीजेपी में घमासान छिड़ गया। जहजाहिर हुआ कि पार्टी के अंदर सबकुछ ठीक नहीं था। कई दौर की बैठकें हुई हार की कारणों पर चर्चा हुई। लेकिन किसी ने खुलकर एक कारण नहीं बताने की हिम्मत जुटा पाई। आखिर अपने तो अपने होते हैं।
लोहपुरुष लालकृष्ण आडवाणी के सलाहकार सुधींद्र कुलकर्णी ने पार्टी के खिलाफ बोलने की हिम्मत जुटा ली। और सुधींद्र कुलकर्णी के बयान से बीजेपी में खलबली है।
टीम आडवाणी के सलाहकार सुधींद्र कुलकर्णी ने बीजेपी की हार की पर्त दर पर्त उधेड़ दी। सुधींद्र कुलकर्णी ने दो कदम आगे बढ़ाते हुए बीजेपी के नेतृत्व पर ही खुला हमला बोल दिया है। सुधींद्र ने ब्लॉग में ये लिखकर सनसनी फैला दी है कि चुनावों में आडवाणी अकेले पड़ गए थे। उन्हें खुद बीजेपी और संघ परिवार ने ही कमजोर दिखा दिया। अटल बिहारी बाजपेयी के साथ आडवाणी ख़डे रहे मगर जब आडवाणी की बारी आई तो तस्वीर बदल चुकी थी।
सुधींद्र ने लिखा है कि 'कैसी विडंबना है। सोनिया गांधी और उनके बेटे राहुल मनमोहन सिंह के साथ इतने मजबूती से खड़े रहे कि एक कमजोर पीएम मजबूत बन गया। जबकि बीजेपी और संघ परिवार ने आडवाणी जैसे मजबूत नेता को कमजोर और लाचार दिखा दिया। पार्टी के कई कार्यकर्ताओं ने अपना दुख इस तरीके से बयां किया कि अटल जी पीएम बनने में इसलिए सफल रहे क्योंकि उसके साथ आडवाणी पूरी निष्ठा और ईमानदारी से खड़े रहे मगर इस बार आडवाणी जी के साथ उसी तरीके से काम करने वाला कोई आडवाणी नहीं था।'
सुधींद्र कुलकर्णी ने तो बीजेपी के हिंदुत्व पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। सुधींद्र के मुताबिक बीजेपी के भीतर विचारधारा को लेकर द्वंद है और ऐसे में पार्टी मुस्लिम और ईसाई की बात तो दूर खुद हिंदुओं के एक बड़े तबके का ही समर्थन हासिल नहीं कर सकती।
दरअसल सुधींद्र कुलकर्णी बीजेपी की हार के लिए पार्टी की नीति और विचारधारा पर सीधा वार कर रहे हैं। उन्होंने बीजेपी और संघ परिवार की मुस्लिम समाज के प्रति अपनाई जा रही नीतियों पर भी करारा वार किया। पार्टी मुस्लिमों के मुद्दे को लेकर बुरी तरह कंफ्यूज्ड है। बीजेपी का सच्चर कमेटी रिपोर्ट को पूरी तरह से दरकिनार करना एक बहुत बड़ी भूल थी। कांग्रेस ने अपने फायदे के लिए इसका गठन किया मगर बीजेपी उसमें कमिंया ही ढूंढती रह गई जबकि उसे इस रिपोर्ट के बहाने मुस्लमों के हित में खड़ी हुई दिखना चाहिए था।
हालांकि सुधींद्र कुलकर्णी खुद ही बीजेपी की चुनावी रणनीति के जिम्मेदार थे लेकिन हैरत की बात ये है कि अव वे उसी रणनीति को कटघरे में खड़ा कर हे हैं। उनके मुताबिक बीजेपी पूरे चुनाव के दौरान यूपीए सरकार की कमियां गिनाने में ही उलझी रही। यहां तक कि सुरक्षा का मुद्दा जो बीजेपी का मजबूत एजेंडा हो सकता था, वहां भी बीजेपी बुरी तरह लड़खड़ा गई। हुआ कुछ यूं कि कांग्रेस ने कंधार एपिसोड भुनाकर बीजेपी को हाशिए पर डाल दिया मगर बीजेपी चुनाव का एजेंडा भी तय नहीं कर सकी।
सुधीन्द्र कुलकर्णी के इस लेख के बाद बीजेपी सकते में है। पार्टी नेताओं की जुबान पर ताला लगा हुआ है और पार्टी के नेता कुलकर्णी के उठाए सवालों से कन्नी काट रहे हैं। ज़ाहिर सी बात है की कोई भी इस कड़वे सच को खुलकर स्वीकारने का साहस नहीं जुटा पा रहा है।
सुधीन्द्र कुलकर्णी के लेख की हकीकत को बीजेपी का एक बड़ा तबका बहुत पहले से महसूस कर रहा है। इससे पहले बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण जेटली और सांसद प्रभात झा ने भी अपने लेखों में पार्टी की कमियों की तरफ इशारा किया था। मगर कुलकर्णी की तरह खुलकर बोलने का साहस कोई नहीं कर पाया।

फेडरर बने फ्रेंच ओपन के सरताज

विश्व के दूसरी वरीयता प्राप्त टेनिस खिलाड़ी स्विट्जरलैंड के रोजर फेडरर ने साल के दूसरे ग्रैंड स्लैम फ्रेंच ओपन के फाइनल में रविवार को स्वीडन के रोबिन सोडरलिंग को हराकर टेनिस के इतिहास में चारों ग्रैंड स्लैम खिताब अपने नाम कर लिया है। ये कारनाम करनेवाले फेडरर विश्व के छठे खिलाड़ी हो गए हैं।
फेडरर ने फाइनल में सोडरलिंग को 6-1, 7-6, 6-4 से हराया। इसके साथ ही उन्होंने अमेरिका के पीट सैंप्रास के सर्वाधिक ग्रैंड स्लैम खिताब जीतने के रिकार्ड की बराबरी कर ली।
सेमीफाइनल मुकाबले में फेडरर ने अर्जेटीना के जुआन डेल पोत्रो को 3-6, 7-6, 2-6, 6-1, 6-4 से मात दी थी।
विश्व के महानतम टेनिस खिलाड़ियों में शुमार सैंप्रास ने अपने टेनिस करियर के दौरान कुल 14 ग्रैंड स्लैम एकल खिताब जीते थे। अब फेडरर के नाम भी 14 खिताब दर्ज हो गए।
हालांकि फेडरर के लिए 2008 अच्छा नहीं रहा था। इस साल स्पेन के राफेल नडाल ने उन्हें सिर्फ एक ग्रैंड स्लैम (अमेरिकी ओपन) जीतने दिया था।
इस बार नडाल क्वॉर्टर फाइनल मुकाबले में ही बाहर हो चुके थे। लिहाजा इस बार फेडरर के पास सैंप्रास के रिकार्ड की बराबरी करने का सुनहरा अवसर था। नडाल को सोडरलिंग ने हराया था।

फेडरर अब साल के तीसरे ग्रैंड स्लैम विंबलडन का खिताब जीतकर सैंप्रास को पीछे भी छोड़ सकते हैं क्योंकि उन्हें ग्रास कोर्ट का बेताज बादशाह माना जाता है, जबकि नडाल क्लेकोर्ट पर ही अपने सर्वश्रेष्ठ फार्म में होते हैं।

लोभ में बिके बीवी, बच्चे और ईमान

बुधवार, 3 जून 2009


लालच बुरी बला है। ये कहावत तो आपने कई बार सुनी होगी। लेकिन लालच के चलते कोई अपने बच्चों को ही गिरवी रख दे ये शायद आपने नहीं सुना होगा।
एक का तीन गुना करने के चक्कर में एक औरत ने एक दो नहीं, अपने तीन बच्चों को गवां बैठीं। जी हां, हिंदुस्तान के सबसे बड़े नटवरलाल के एक के बदले तीन नोट के ऑफर के चक्कर में जयपुर के मदरामपुरा की इंद्रा देवी ने अपने तीन बच्चों को गिरवी रख दिया।
इंद्रा देवी ने लोगों से महाठग अशोक जडेजा के चमत्कार की कहानी सुन रखी थी। इंद्रा देवी भी एक लाख का तीन लाख पाने की कोशिश में जुट गई। इंद्रा ने एक लाख रुपयों के बदले अपने बच्चों को एक रिश्तेदार के पास गिरवी रखने का फैसला किया। करार के मुताबिक इंद्रा की दो बेटियां और तीन साल का एक बेटा उसके रिश्तेदार के पास रहेंगे। पैसा चुकाकर वो अपने बच्चों को ले जा सकेगी।
इसके बाद इंद्रा ने एक लाख रुपए तीन महीने के लिए अशोक जडेजा के हवाले कर दिए। लेकिन जब तय तारीख पर वो पैसे लेने पहुंचे तो जडेजा पैसे लेकर फरार हो चुका था। इसके बाद रिश्तेदार ने जिद पकड़ ली कि पहले पैसे लाओ तब बच्चे मिलेंगे।
अब वो किसी भी तरह अपने बच्चों को वापस पाना चाहती है। अब बड़ा सवाल ये है कि एक लाख रुपए कहां से आएंगे। पैसों के लालच में ममता को दांव पर लगाने वाली इंद्रा को अपने किए पर भारी पछतावा हो रहा है। वो हर हाल में अपने बच्चों से मिलना चाहती है, लेकिन उसके पास कोई चारा नहीं है।
अशोक जडेजा के मायाजाल में फंसकर अपनों को दांव पर लगाने वालों में सिर्फ इंद्रा ही नहीं है। जयपुर के मुहाना में रह रही एक महिला के मुताबिक उसे उसके पति ने पैसों की खातिर 50 हजार रुपयों में गिरवी रख दिया। करार के मुताबिक अगर तय वक्त तक रेखा का पति उधार नहीं चुकाया तो लेनदार रेखा को ले जाएंगे।

'घर घऱ से एक नौजवान चाहिए'

सोमवार, 1 जून 2009

पाकिस्तानी सेना की लगातार कार्रवाई से तालिबान बौखला गया है। पाक फौजें लगातार तालिबान के कब्जे वाले इलाकों को आजाद कराती जा रही हैं। इस लड़ाई में तालिबान के सैकड़ों लड़ाके मारे जा चुके हैं। ऐसे में तालिबान अपनी ताकत को बढ़ाने के लिए नए-नए हथकंडे अपना रहा है।
तालिबान ने स्वात घाटी में एक नया फरमान जारी कर दिया है। तालिबान को अब हर घर से एक नौजवान की जरूरत है जो उसके लिए अपनी जान दे सके। तालिबान ने अपने इस नए फरमान में स्वात में रह रहे लोगों से कहा है कि अगर स्वात में रहना है तो हर घर से जिहाद के लिए एक नौजवान दे दिया जाए। तालिबान को ऐसे नौजवान चाहिए जो जेहाद के नाम पर खुद को मिटाने को तैयार हों।
दरअसल स्वात घाटी में तालिबान और पाकिस्तानी फौज में भीषण संघर्ष पिछले 35 दिनों से जारी है। पाकिस्तान का दावा है कि उसने तालिबान के सैकड़ों लड़ाकों को मार गिराया। एक-एक कर तालिबान के कब्जे वाले इलाकों पर पाकिस्तानी फौज का कब्जा होता जा रहा है। पाकिस्तान के सबसे अहम इलाके मिंगोरा से भी तालिबानियों को खदेड़ने का काम शुरू हो चुका है।
लेकिन आमने-सामने की जंग में हारते तालिबान ने अपने नापाक इरादों को अंजाम देने के मांग रहा है स्वात घाटी के हर घर से एक नौजवान। तालिबान के इस खूंखार इरादे को अंजाम दे रहा है मौलाना फजलुल्लाह। वहीं मौलाना फजलुल्लाह जिस पर 5 करोड़ का इनाम रखा गया है। मौलाना फजलुल्लाह जिंदा बम तैयार करने की बात बड़े गर्व से मानता है।
बच्चों को जिंदा बम के तौर पर इस्तेमाल करने वाला तालिबान अपने खतरनाक मंसूबों अंजाम देने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। फिर वो बच्चों को जिंदा बम में तब्दील करना हो या घाटी के हर घर से एक आदमी की मांग हो। इतना ही नहीं पाकिस्तानी फौज से बुरी तरह मार खाने वाले तालिबान ने पाकिस्तानी फौज के लड़ाकों के घर वालों को भी निशाना बनाने का आदेश दे दिया है।
ऐसे में अगर पाकिस्तान से जल्द से जल्द तालिबान का सफाया न किया गया तो आने वाले दिनों में हालात और बदतर हो सकते हैं। तालिबान की नौजवानों की ये मांग नई नहीं है। पहले भी तालिबानी आतंकी बच्चों को अपने संगठन में शामिल करते रहे हैं।