पद्मश्री या शर्मश्री अक्षय कुमार?

मंगलवार, 31 मार्च 2009

बॉलीवुड का खिलाड़ी कहें, बॉलीवुड का किंग कहें, या फिर स्टंटमैन कहें....जो भी कहें अक्षय कुमार के सितारे मौजूदा दौर में बुलंदी पर है। लगातार कामयाबियां उनकी कदम चूम रही है। एक पर एक फिल्में हिट हो रही है।
अक्की बॉलीवुड के ऐसे सितारे हैं जो चहेतों के लिए आंखों के तारे हैं। ऐसे में अक्की मुंबई फैशन वीक में रैंप पर जो कुछ कर गए। वो एक भारतीय के लिए शोभा नहीं देता और हमारी सभ्यता में इसे शर्म की निगाहों से देखी जाती है।
एक ओर भारत सरकार द्वारा अक्की को पद्मश्री जैसे गौरवपूर्ण सम्मान से सम्मानित किया जा रहा है। ये पुरस्कार ऐसे लोगों को दिया जाता है। जो अपने-अपने क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया हो। ऐसे में सैकड़ों लोगों के बीच अपनी पत्नी से जींस का बटन खोलवाने से पहले में पहले एक बार भी इस बारे में नहीं सोचे होंगे। क्या जरा भी ख्याल नहीं आया कि पूरी दुनिया की निगाहें उनपर है।

अगर अक्की पब्लिसिटी के लिए ये सबकुछ किए तो इससे बड़ी शर्मनाक बातें नहीं हो सकती। इससे प्रशंसा तो कतई नहीं बटौरी जा सकती है। हां, ये जरूर है कि मीडिया ने टीआरपी के चक्कर में बार-बार ऐरो लगाकर बटन खुलवाने वाली सीन को दिखाकर लोगों से भी राय़ मांगी।
रैंप में जलवे बिखेरने उतरे अक्की ने पहले तो एक मॉडल के साथ रोमांस किया। लेकिन इतने से ही उनका दिल नहीं भरा। इसके बाद सीधे-साधे अक्षय रैंप से नीचे उतर कर पहुंच गए अपनी पत्नी ट्विंकल खन्ना के पास और फिर जो हुआ उसे लोग देखते ही रह गए।
दरअसल अक्षय ने सैकड़ों लोगों के सामने ही अपनी पत्नी ट्विंकल से अपनी जींस खुलवाकर सबको चौंका दिया। इस मामले पर अक्षय कुमार का कहना है कि जीन्स में जिप नहीं होती और बटन होते हैं इसलिए इसे अनबटन करवाया जाता है तो इसमें हर्ज ही क्या है।
लगता है लोगों के बीच अक्षय अपनी पैंट खोलने की आदत सी पड़ चुकी है। तभी तो खिलाड़ी कुमार ने पिछले साल अपनी जींस को खुद अनबटन किया ता तो इस साल एक कदम आगे बढ़कर ये काम अपनी धर्मपत्नी से करवाया। हम तो यही कहेंगे कि लोगों अर्श से फर्श पर और फर्श से अर्श पर पहुंचने में देर नहीं लगती है।

16 साल की लड़की की खूनी प्रेम कहानी

बुधवार, 25 मार्च 2009

गुजरात के पोरबंदर में मार्च के पहले दिन जो कुछ हुआ उसे लोग सालों तक नहीं भूल पाएंगे। एक ही परिवार के 3 सदस्यों की लाश मिलने से पूरे इलाके में सनसनी फैल गई थी।

पहली नजर में सभी ने आशंका जताई की ये खुदकुशी हो सकती है। और शुरुआती जांच में ऐसा लग रहा था कि आर्थिक तंगी के चलते पूरे परिवार ने खुदकुशी की। परिवार में कुल 5 सदस्य थे। पति-पत्नी और तीन बच्चे। तीन बच्चों में एक 16 साल लड़की है। पिता पुलिस कांस्टेबल था। इस वारदात की सुराग तलाशने में पुलिस जोर-शोर से लगी थी।
जब कातिल और कत्ल का मकसद पता चला तो लोग सकते में आ गए। रिश्ते तार-तार हो गए। एक ऐसी प्रेम कहानी सामने आई जिसमें प्यार को अपराध के रास्ते चलकर हासिल करने की कोशिश की जा रही थी। पुलिस के मुताबिक 16 साल की लड़की ने ही अपने प्रेमी के साथ मिलकर पूरे परिवार को इस तरह से मारा कि सभी को खुदकुशी लगे। मामले से पर्दा हटते ही पुलिस ने लड़की औऱ प्रेमी को गिरफ्तार कर लिया है।
दरअसल परिवार वाले इन दोनों के रिश्ते का विरोध करते थे। प्यार में पागल लड़की ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर सबसे पहले खौफनाक साजिश का निशाना बनाया अपनी ही मां और 2 छोटे भाइयों को जिन्हें बाहर घुमाने के बहाने से वे किसी सुनसान इलाके में लेकर गए और गला घोंट दिया। लड़की के पिता खुद क्राइम ब्रांच में पुलिस कांस्टेबल थे। लड़की का अगला निशाना वही थे।
बेटी ने उन्हें उनकी ही सर्विस रिवाल्वर से गोली मार कर उनकी हत्या कर दी। लड़की का प्रेमी स्कूल में मारुति वैन से बच्चों को लाने ले जाने का काम करता है। लड़की का पिता कार्सन भाई इस प्रेम के विरुद्ध थे। दोनों ने रास्ते से पूरे परिवार को ही हटाकर शादी रचाने वाले थे।
यह मामला तब खुला जब लड़की के दो भाइयों में से एक जिंदा बच गया और उसने होश में आते ही पुलिस को सारी कहानी सुना डाली। लड़के ने बताया कि वे लोग अपनी बहन के प्रेमी की गाड़ी में घूमने गए थे वहीं उनपर हमला हुआ।
वहीं लड़की के प्रेमी के घरवालों की किस्मत अच्छी थी जो वो पुलिस की गिरफ्त में है क्योंकि उसने भी अपनी प्रेमिका के साथ मिलकर अपनी पत्नी और अपनी मासूम बेटी की हत्या की साजिश रची थी जिसमें वो कामयाब नहीं हो पाया। यानी अगला निशाना लड़के के परिवार वाले थे। गांधी की जन्मस्थली पोरबंदर में एक नाबालिग लड़की की इस वहशियाना हरकत से पूरा शहर सकते में है।
पूरी वारदात में एक 16 साल की लड़की और एक शादीशुदा लड़का। जिसके परिवार में बीबी, बच्चे हैं। लेकिन दोनों प्य़ार में इस कदर पागल हो गए कि अपराधी बन बैठे। जिस मां-बाप ने लाखों अरमानों के साथ लड़की को 16 साल तक पाला। जिससे खून का रिश्ता था। जिसे मां-बाप अपनी बगिय़ां की कली मानकर खुश थे। लेकिन कली अपने ही मां-बाप और भाई यानी पूरे परिवार को मौत की नींद सुलाकर एक ऐसा प्यार हासिल करना चाहती थी। जिसकी कहानी खून से लिखी गई हो। क्या लोग के बीच प्यार को पाने के लिए बस अब यही रास्ता बच गया है। प्यार तो पवित्र बंधन होता है। लेकिन इन दोनों ने जिस रास्ते पर चलकर अंधा प्यार पाने की कोशिश की। ये कतई माफी के लायक नहीं है। दोनों ने प्यार नाम के पवित्र शब्द को कलंकित किया है।

‘वरुण नहीं ये आंधी है, ये दूसरा...संजय गांधी है’

बुधवार, 18 मार्च 2009

पीलीभीत में वरुण के जहरीले भाषण पर शिवसेना ने उनकी खूब वाहवाही की है। शिवसेना ने बीजेपी को भी सलाह दी है कि अपने इस युवा नेता को समझो। इस बालक में आग है। इस आग को शांत मत होने दो। शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में बाल ठाकरे ने वरुण के जहरीले बोल को मीठी वाणी की तरह मानते हुए वरुण की वाहवाही की है। उन्होंने लिखा कि वरुण ने लोगों में दहक रही आग को उगला। वरुण के मन की आग को बुझाओ मत। ये गांधी दूसरों से अलग है। वरुण नहीं ये आंधी है... ये दूसरा संजय गांधी है। ये वंश परंपरा का उदाहरण है।
मालूम हो कि बाल ठाकरे को वरुण में नये जमाने का गांधी दिख रहा है। इसमें उन्हें महात्मा गांधी से अलग संजय गांधी की परछाई दिखाई दे रही है। मुख पत्र में बाल ठाकरे ने लिखा कि हमें होनहार वरुण गांधी ने संजय गांधी की याद दिला दी। ऐसा लगा कि वरुण गांधी के मुख से संजय गांधी का पुनर्जन्म हुआ है। चिरायु वरुण में अपने स्वर्गीय पिता संजय गांधी के सारे गुण आए हैं।

शिवसेना नेता और सामना के कार्यकारी संपादक संजय राउत का कहना है कि जो भी शख्स हिंदुत्व की बात करेगा तो पार्टी और शिवसेना प्रमुख उसे पूरा समर्थन देंगे।अपने पूरे जीवन में गांधी परिवार को कोसने वाले बाल ठाकरे को गांधी नाम से प्यार हो गया है। उन्होंने ऐलान कर दिया है कि हिंदुत्व की बात करने वाला ये गांधी हमारा है। ठाकरे ने वरुण की तारीफ की वहीं बीजेपी की खिंचाई कर दी। ठाकरे लिखते हैं कि कांग्रेस के साथ साथ बीजेपी के भी कुछ नेता वरुण के इस बयान अपने को अलग कर रहे हैं। लेकिन वरुण ने जिस निर्भीकता से अपना पक्ष रखा है उसे बीजेपी को समर्थन देना चाहिए।

राजनीति अब वंशवाद की ओर

मंगलवार, 10 मार्च 2009

वंशवाद, परिवारवाद ये सब डिक्शनरी के लफ्ज थे। लेकिन अब इन लफ्जों को बीजेपी ने बड़ी सहजता से अपने पार्टी कल्चर में उतार लिया है। अब दक्षिण भारत में बीजेपी के झंडा बुलंद करने वाले कर्नाटक के पहले भाजपा मुख्यमंत्री येद्युरप्पा को ही लाजिए। अभी मुख्यमंत्री बने नहीं कि विरासत की चिंता सताने लगी। इसलिए मैदान में उतार दिया अपने बेटे राघवेंद्र को। राघवेंद्र कर्नाटक में शिमोगा से बीजेपी के उम्मीदवार हैं।
बीजेपी के दूसरे लाल स्मार्ट, गुडलुकिंग, हैंडसम अनुराग ठाकुर हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के बेटे हैं। राज्य में क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं। लेकिन इससे पेट नहीं भरा। धूमल ने जब हमीरपुर की सीट छोड़ी तो बैट पकड़ा दिया अपने बेटे को। नेता बन गए तो अब बात भी नेताओं की तरह करते हैं। ‘मैं पहले से क्रिकेट एसोसिएशन का अध्यक्ष था और बहुत मेहनत करनी पड़ी है। हमारे यहां जो काम करता है उसे ही टिकट दिया जाता है।“
परिवारवाद पर थूथू करने वाली बीजेपी के सिर्फ यही दो लाल नहीं हैं। वसुंधरा सीएम बनीं तो बेटे दुष्यंत सिंह को झालावाड़ से एमपी बना दिया। वे अब फिर चुनाव लड़ रहे हैं। वसुंधरा ऐसा कर सकती हैं तो जसवंत सिंह क्या राजस्थान के कोई छोटे नेता हैं। खुद राज्यसभा में और उनके लाल मानवेंद्र बाड़मेर से लोकसभा में। मानवेंद्र फिर चुनाव लड़ रहे हैं। उत्तर प्रदेश में बीजेपी की लुटिया डूब गई लेकिन प्रदेश में पार्टी के बड़े नेता ओमप्रकाश सिंह का कुछ नहीं बिगड़ा। खुद विधायक हैं और बेटे को एमपी का टिकट दिलवा दिया।
मेनका गांधी की गांधी परिवार से नहीं बनीं तो उन्होंने अपना रास्ता बदल लिया। रास्ता तो बदला लेकिन गांधी परिवार की तरह डायनेस्टी पोलीटिक्स में उनका विशवास बना रहा। इसलिए वरुण गांधी को राजनीति में उतार दिया। मां मेनका आंवला से तो बेटा वरुण यूपी के पीलीभीत से बीजेपी के उम्मीदवार हैं। ये तो वो हैं जिन्हें चुनाव लड़ने की हरी झंडी मिल गई है। कई कतार में हैं। साहब सिंह वर्मा के बेटे प्रवेश वर्मा। प्रमोद महाजन की बेटी पूनम महाजन। उड़ीसा में देवेंद्र प्रधान के सांसद बेटे धर्मेंद्र प्रधान।

सचिन का सपना पूरा हो न सका

सोमवार, 9 मार्च 2009

टीम इंडिया ने क्राइस्टचर्च वनडे में न्यूजीलैंड को 58 रन से करारी शिकस्त दी। इसी के साथ 5 मैचों की सीरीज में भारत ने 2-0 की अजेय बढ़त ले ली है। यानी पहली बार टीम इंडिया का न्यूजीलैंड में सीरीज जीतने का सपना पूरा हो सकता है। मगर इस सबके बीच सचिन का 19 साल पुराना सपना पूरा नहीं हो सका।सचिन जिस रफ्तार से रन बना रहे थे यही लगा कि वो 200 रन बनाकर ही दम लेंगे। मगर पेट की मांसपेशी में खिंचाव की वजह से रिटायर्ड हर्ट होकर वो बैटिंग छोड़कर पवेलियन लौट गए। मास्टर ब्लास्टर को ये दर्द का एहसास अर्धशतक जड़ने के बाद ही हो गया था। सचिन के मुताबिक 'जब मैं 70 रन के करीब थे तभी दर्द महसूस होने लगा था। मगर बाद में दर्द और बढ़ गया। मुझे मालूम था कि मैं अपने साथ गलत कर रहा हूं। यही वो समय था जब मैने फैसला किया कि मैदान से बाहर चला जाऊं।'सचिन को 150 रन बनाने के बाद 200 का आंकड़ा सामने दिखाई दे रहा था। मगर मास्टर ब्लास्टर का ये सपना टूट गया।सचिन ने कहा कि 'जब मैंने 150 रन पार किए तो एक बार लगा कि मैं वनडे में पहला दोहरा शतक लगा सकता हूं। मगर अचानक दर्द बढ़ने लगा। ऐसे में मैंने फैसला लिया कि अगर आज जोखिम उठाया तो आगे के लिए ठीक नहीं होगा।"तमाम अगर मगर के बावजूद ये सचिन की एक और बेहतरीन पारी थी। अब चौथे वनडे में सचिन खेलेंगे या नहीं इसपर वो सोमवार को फैसला लेंगे।अगर सचिन का एक सपना टूट गया तो एक ख्वाहिश पूरी भी हुई। अपने 19 साल के करियर में आज से पहले सचिन ने कभी भी न्यूजीलैंड में शतक नहीं ठोका था। क्राइस्टचर्च में 43वीं सेंचुरी जड़ने के बाद सचिन ने अपनी और अपने फैन्स की ये तमन्ना भी पूरी कर दी। इस मैच में सचिन को 'मैन ऑफ द मैच' से नवाजा गया।दरअसल न्यूजीलैंड के क्राइस्टचर्च में पहले बल्लेबाजी करने उतरी टीम इंडिया ने सहवाग का विकेट जल्द ही गंवा दिया। सचिन ने आते ही कीवी फील्डर्स को मैदान के चारों ओर खूब दौड़ाया। पहले युवराज सिंह के साथ मिलकर सचिन ने दूसरे और तीसरे पावर प्ले का भरपूर फायदा उठाया और जल्द ही अपना अर्धशतक पूरा कर लिया। उसके बाद सचिन ने 10 चौकों और 2 छक्कों के साथ अपना शतक 101 गेंदों में पूरा कर लिया।लेकिन शतक पूरा करते ही सचिन ने रन बनाने को रफ्तार तेज कर दिया। मानों जैसे वो 200 रन बनाने के मूड में थे। लगातार चौकों और छक्कों की बारिश के साथ ही सचिन ने अपने 150 रन भी पूरे किए। 163 रनों के निजी स्कोर पर सचिन को मांसपेशियों में खिंचाव हुआ और वो रिटायर्ड हर्ट होकर पवेलियन वापिस लौट गए। अपनी 163 रनों की पारी में सचिन ने 16 चौके और 5 छक्के लगाए।आज सचिन की पारी को देखकर लगा जैसे की करीब 10 साल पहले का सचिन मैदान पर हो। वही जोश वही जज्बा और वही कलात्मक स्ट्रोक्स। वहीं क्राइस्टचर्च में आज मास्टर ब्लास्टर के बल्ले ने जो आग उगली उसने तमाम आलोचकों का मुंह बंद कर दिया। जो लोग उनकी उम्र और फॉर्म को लेकर कोसते रहते थे उन्हें आज सचिन ने मुंहतोड़ जवाब दिया है। आलोचकों को हमेशा शिकायत रही कि सचिन मैच विनर नहीं हैं। मगर क्राइस्ट चर्च में सचिन की आतिशी पारी ने साबित कर दिया कि वो टीम इंडिया के सबसे बड़े मैच विनर हैं।क्राइस्टचर्च में जबर्दस्त पारी खेलने के बाद तेंदुलकर ने कहा कि 'मैं अपने पूरे करियर में इससे मजबूत बैटिंग लाइन अप का सदस्य नहीं रहा। इस लाइन अप में ऐसा बल्लेबाज है जो जब चाहे गेंद सीमारेखा के पार कर सकते हैं और इस लाइन अप के लिए कोई भी टार्गेट बड़ा नहीं'गौरतलब है कि कपिल, अजहर, सिद्धू, राहुल और सौरव जैसे वर्ल्ड क्लास बल्लेबाजों के साथ खेल चुके तेंदुलकर का ये बयान काफी अहमियत रखता है। इससे पहले सहवाग ने कहा था कि मौजूदा टीम हर मैच में 300 रन बनाने का माद्दा रखती है।

भारत एक दुश्मन अनेक

कहते हैं अच्छा पड़ोसी खुशियां लाता है। परेशान पड़ोसी दर्द देता है। लेकिन यहां तो भारत को पड़ोसियों से दर्द नहीं बल्कि आग मिल रही है। भारत चौतरफा घिर चुका है। और सबसे डरा देने वाली बात ये है कि ये खतरा एक साथ नहीं आने वाला। बल्कि टुकड़ों-टुकड़ों में भारत को नुकसान पहुंचाने वाला है।पाकिस्तान की सेना ने 90 के दशक में भारत को नुकसान पहुंचाने के लिए एक रणनीति बनाई। जिसे नाम दिया मिशन थाउजेंड कट्स यानि एक हजार वार। छोटे-छोटे। जो भारत को लगातार तबाह करते रहें। कौन करता ये वार। पाकिस्तानी सेना ने खोजे आतंकवादी। उन्हें जन्म दिया। पाला पोसा। और आज वो उसी को खा रहे हैं। पाकिस्तान खुद तबाह हो चुका है। लेकिन थाउजेंड कट्स का जो बम उसने बनाया उसके छर्रे से भारत भी घायल हो रहा है लगातार। लेकिन इस बार ये खतरा छोटा नहीं है। अब तालिबान पाकिस्तान पर कब्जे की कोशिश कर रहा है। और अगर नक्शे में तालिबान के राज की ताजा स्थिति देखें तो वो भारत से महज पांच घंटे की दूरी पर है। और उसे आगे बढ़ने से पाकिस्तान भी नहीं रोक सकता।सूत्रों के मुताबिक देश की खुफिया एजेंसियों ने कैबिनट कमेटी को एक रिपोर्ट सौंपी है। जिसमें साफ कहा गया है कि भारत चौतरफा खतरों से घिर चुका है। जिसमें सबसे बड़ा खतरा तालिबान से है। भारत में छुपे बैठे उसके लोग उससे जेहाद के नए तरीके सीखकर नए तरीके से हमले करने से गुरेज नहीं करेंगे। ये भी तय है कि पाकिस्तान की कमजोर सरकार उन्हें रोक नहीं पाएगी। लाहौर पर हमला हुआ श्रीलंका टीम पर। ये सबकुछ भारत की सीमा से महज आधे घंटे की दूरी पर हुआ। और इस हमले ने ये साबित कर दिया कि लश्कर की पहुंच से कुछ भी दूर नहीं। तो लाहौर से आधे घंटे की दूरी पर अमृतसर महफूज कैसे हो सकता है।भारत के दक्षिणी मुहाने पर एलटीटीई घात लगाकर बैठा है। वहां से आगे बढ़े तो बांग्लादेश में आतंकी भारत में घुसने की फिराक में हैं। वहां पर बीडीआर की बगावत ने कोढ़ में खाज का काम किया है। लिट्टे के लड़ाके हजारों भारतीय सैनिकों की जान ले चुके हैं। राजीव गांधी की हत्या का पाप इनके सिर पर है। अब श्रीलंका की सेना इनकी गुर्राहट बंद कर रही है। लेकिन क्या ये खत्म हो जाएंगे। ये ऐसा सवाल है जिससे भारत भी जूझ रहा है। ऐसी आशंका है कि लिट्टे के कई खूंखार लड़ाके समुद्री रास्ते से भारत में पनाह ले रहे हैं। और वो देश में एक नए विवाद को जन्म दे सकते हैं। अपनी जन्मभूमि से बेदखल होकर वो भारत में एक नया उत्पात खड़ा कर सकते हैं। यही नहीं भारत में अपने संपर्कों को वो पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनों लश्कर ए तैयबा और हरकत उल मुजाहिदिन जैसे संगठनों की मदद के लिए भी इस्तेमाल कर सकता है।बांग्लादेश सरकार ने कहा है कि बीडीआर की बगावत में बाहरी हाथ था। यानि बाहरी हाथ की साजिश ने पूरे बांग्लादेश को हिला दिया। जाहिर है ये हाथ यहीं नहीं रुकेंगे। ये वही हाथ हैं जो भारत के खिलाफ बांग्लादेश में आतंकवादी कैंप चलाते हैं। उल्फा को हथियार देते हैं। हूजी से हाथ मिलाते हैं। ये हाथ आईएसआई का भी हो सकता है। बीडीआर की बगावत के बाद ये हाथ और मजबूत हो गए हैं। क्योंकि बांग्लादेश की भारत से सटी सीमा की रक्षा बी़डीआर के जवान करते हैं। उनके बिगड़ने के बाद भारत में घुसपैठ और हथियारों की तस्करी और आसान हो जाएगी। साथ ही बांग्लादेश की अस्थिरता का आतंकी अपने हित में हर तरह से इस्तेमाल करेंगे।खतरे का एक सिरा जाकर मिलता है नेपाल में। जहां आईएसआई कुंडली मारकर बैठी है। नेपाल में वो अपनी जड़े मजबूत कर रही है। भले ही उसका देश तालिबान के मुंह में जा रहा है। लेकिन उसकी तो सांस इसी बल पर चलती है कि वो भारत के खिलाफ साजिशें रचता है। अपनी सेना के नापाक गठजोड़ से भारत को चोट पहुंचाता है। क्या इसका कोई हल है। कौन करेगा भारत के इस सिरदर्द का अंत।भारतीय खुफिया एजेंसियों ने कैबिनेट कमेटी को जो रिपोर्ट सौंपी है उसमें साफ साफ लिखा है कि नेपाल में मौजूद पाकिस्तानी दूतावास आईएसआई का सबसे बड़ा अड्डा बन चुका है। ऐसा अड्डा जिसमें मौजूद ज्यादातर अफसर भारत के खिलाफ गतिविधियों में लगे हुए हैं। जी हां यही अधिकारी नेपाल में भारत विरोधी साजिशों को हवा देते हैं। नेपाल में मौजूद अधिकारी वो सबकुछ करते हैं जो भारत में अस्थिरता फैला सके।तो सारे पड़ोसी देशों में भारत के खिलाफ साजिश रचने वाला कोई न कोई है। आखिर इससे निपटने का हल क्या है।