वेनेजुएला की सुंदरी बनीं मिस यूनिवर्स

रविवार, 30 अगस्त 2009

बहामास में हुए 'मिस यूनिवर्स' प्रतियोगिता में भारत को एक फिर निराशा हाथ लगी है। भारत की ओर से प्रतियोगी में हिस्सा ले रही दिल्ली की 22 वर्षीय एकता चौधरी अंतिम 15 में भी जगह नहीं बना पाईं।
इस तरह पिछले 9 साल से जारी इंतजार और एक वर्ष के लिए टल गया है। भारत को मिस इंडिया एकता चौधरी से काफी उम्मीदें थीं। वहीं मिस वेनेजुएला स्टेफेनिया फर्नांडेज मिस यूनिवर्स-2009 चुनी गईं।
स्टेफेनिया को उनकी हमवतन सुंदरी और वर्ष 2008 की मिस यूनिवर्स डायना मेंडोजा ने 1,20,000 डॉलर का ताज पहनाया। मिस यूनिवर्स बनने के बाद 18 वर्षीय स्टेफेनिया के चेहरे पर खुशी साफ देखी जा सकती थी।
मिस डोमिनिकन गणराज्य अदा दे ला क्रूज दूसरे और मिस कोसोव मैरीगोना द्रागुसा तीसरे स्थान पर रहीं। इस प्रतियोगिता में 84 देशों की सुंदरियों ने हिस्सा लिया था।
मालूम हो कि इस प्रतियोगिता में 84 देशों की सुंदरियों ने हिस्सा ली। फाइनल से पहले करीब एक महीने तक प्रतियोगिता के विभिन्न राउंड हुए थे। इन राउंड्स में भारत की प्रतिनिधि कर रही एकता ने पूरी कॉन्फिडंट से शिरकत की थी। एकता चौधरी दिल्ली की रहने वाली है।

रीयल लाइफ में ‘सच का सामना’ करना जानलेवा!

बुधवार, 19 अगस्त 2009

मेरठ की एक दंपत्ति आशा और राजेश ने रियलिटी शो को हकीकत जिंदगी में अजमाने की कोशिश की। लेकिन उनके लिए ये सच बेहद भारी पड़ गया। पति के सामने 'सच का सामना' करना आशा को इतना महंगा पड़ा कि उसका पति ही उसके जान का दुश्मन बन गया।
दरअसल इन दिनों टीवी पर आ रहा चर्चित रियलटी शो 'सच का सामना' एक हंसते-खेलते परिवार के लिए मुसीबत बन गया। शो की तर्ज पर एक पति ने अपनी पत्नी से बेवफाई का सारा सच तो उगलवा लिया। लेकिन ये कड़वा सच वो बर्दाश्त नहीं कर पाया। और उसने अपनी पत्नी पर जानलेवा हमला कर दिया। मेरठ में हुई इस घटना को सुनकर हर कोई सन्न रह गया।
दरअसल आशा के पति राजेश को इन दिनों टीवी पर आ रहे रियालटी शो 'सच का सामना' का भूत सवार था। शो की तर्ज पर उसने आशा से अपनी जिंदगी के बारे में सच बोलने को कहा, और जब आशा ने सच बोला तो राजेश बर्दाश्त नहीं कर पाया। सच सुनते ही पति ने आशा पर जानलेवा हमला कर दिया।
जानकारी के मुताबिक राजेश को अपनी पत्नी आशा के चरित्र पर शक था, लिहाजा उसके मन में आया क्यों न वो भी अपनी पत्नी के सच का सामना करे। लिहाजा वो उसे घुमाने के बहाने नहर पर ले गया और आशा से वादा किया कि वो अगर सच बताएगी तो वो उसे माफ कर देगा।
पति की बातों में आकर आशा ने अपनी बेवफाई की बात बता दी। साथ ही ये राज भी उगल दिया कि उनके दो बेटों में से एक राजेश का नहीं है। इतना सुनते ही राजेश आग बबूला हो उठा और उसने ब्लेड से आशा की गर्दन पर कई वार किए। जब राजेश को लगा कि अब आशा मर गई तब वो वहां से भाग निकला। लेकिन आसपास के लोगों की वजह से आशा की जिंदगी बच गई।
मेरठ में हुई इस घटना को सुनकर हर कोई सन्न रह गया। रियलटी शो 'सच का सामना' की चर्चा सड़क से संसद तक है।

आतंक के एक युग का खात्मा

शुक्रवार, 7 अगस्त 2009

आखिर अमेरिका का सबसे बड़ा दुश्मन अमेरिकी ड्रोन हमले का शिकार हो ही गया। और इसके साथ ही आतंक के एक युग का भी खात्मा हो गया। अमेरिका के साथ-साथ पाकिस्तान भी अब चैन की सांस ले पाएगा।

तालिबान का मुखिया और अमेरिका का सबसे बड़ा दुश्मन बैतुल्लाह महसूद अमेरिकी हमले में ढेर हो गया। बैतुल्लाह महसूद को ओसामा बिन लादेन का असली वारिस माना जा रहा था। पाकिस्तान सरकार ने भी महसूद की मौत पर मुहर लगा दी है। क्योंकि इससे पहले भी महसूद की मौत की अफवाहें उड़ी थी।

दरअसल पाकिस्तान के कबीलाई इलाके दक्षिण वजीरिस्तान में बुधवार को अमेरिकी ड्रोन विमान ने महसूद के ससुर के घर हमला किया। जिस हमले में महसूद की दूसरी पत्नी और ससुर सहित चार रिश्तेदार ढेर हो गए।

एक तरफ तालिबानियों में महसूद की मौत का मातम। वहीं दूसरी ओर महसूद की वारिस की तलाश तालिबानी नेताओं ने शुरू कर दी है। तालिबान नेताओं की जल्दबाजी का आलम ये है कि महसूद के वारिस की तलाश के लिए बैठकों का भी सिलसिला शुरू हो चुका है। इस रेस में हकीमुल्लाह, वलीउर-रहमान और मौलान अस्मतुल्लाह हैं।
अमेरिका को बैतुल्लाह महसूद की तलाश 2007 से थी। और आज कामयाबी मिल गई। आलम ये था कि अमेरिका ने बैतुल्लाह के ऊपर 25 करोड़ रुपए इनाम रखा था। वहीं महसूद पर पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुट्टो की हत्या का भी आरोप था।

‘इंसाफ के घर देर, अंधेर नहीं’

गुरुवार, 6 अगस्त 2009


आखिरकर मुंबई में 2003 में हुए दोहरे बम धमाके के तीनों दोषियों को सजा मिल ही गई। उन परिवारों को आज अपनों के खोने के दुख के साथ-साथ सुख का भी ऐहसास हुआ होगा, जो पिछले 6 साल से इंसाफ की बाट जोह रहे थे। आज उन आत्माओं को भी शांति मिली होगी जो बिना किसी गुनाह के मौत के शिकार हो गए थे। साथ ही कोर्ट ने साबित कर दिया कि कानून सभी के लिए एक समान होता है। चाहे स्त्री हो या पुरुष। गुनहगार केवल कानून की नजर में गुनहगार होता है।
मुंबई की विशेष अदालत पोटा ने तीनों दोषियों को फांसी की सजा सुनाई। इन तीनों को कोर्ट ने मुंबई की जावेरी बाजार और गेटवे ऑफ इण्डिया पर हुए दो धमाकों के लिए दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाया। अदालत ने अशरत अंसारी, हनीफ सैयद और हनीफ की बीवी फहमीदा सैयद को फांसी की सजा सुनाई।

दरअसल इंसाफ के तराजू पर ये पहला मामला रहा जब अदालत ने पति-पत्नी दोनों को एक साथ फांसी की सजा सुनाई हो।
फैसले आने के बाद सरकारी वकील उज्जवल निकम ने कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इससे आतंकी सबक लेंगे। निकम ने शुरू के दिन से ही तीनों के लिए फांसी की सजा की ही मांग कर रहे थे।
पोटा अदालत ने इन तीनों को 25 अगस्त 2003 को जावेरी बाजार और गेटवे ऑफ इंडिया पर हुए दो जबर्दस्त धमाकों के लिए दोषी पाया था। इन धमाकों में 56 लोगों की मौत हुई थी जबकि 180 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे।
मालूम हो कि इससे पहले मुंबई की विशेष पोटा अदालत 4 अगस्त को ही दोषियों को सजा का ऐलान करने वाली थी। लेकिन कई घंटे बहस चलने के बाद इसे आज के लिए टाल दिया गया था। मंगलार को अदालत में तीनों दोषी अपने किए से मुकर गए थे। हनीफ और अशरत ने कहा था कि वो निर्दोष हैं। जबकि इस बम कांड की इकलौती महिला आरोपी फहमीदा सैय्यद ने ये कहकर सनसनी मचा दी थी कि एक महिला कभी आतंकवादी नहीं हो सकती।
दरअसल अदालत ने जांच में पाया कि जावेरी बाजार और गेटवे ऑफ इंडिया ब्लास्ट की साजिश लश्कर-ए-तैयबा ने रची और ये साजिश दुबई में रची गई थी। धमाके की जिम्मेदारी दुबई में ही काम करने वाले हनीफ सैय्यद को सौंपी गई थी। हनीफ ने अपने परिवार के साथ मिलकर गेटवे ऑफ इंडिया के धमाके को अंजाम दिया था।
जबकि जावेरी बाजार पर अशरत अंसारी ने ब्लास्ट किया था। दोनों धमाकों में आरडीएक्स का इस्तेमाल किया गया था।

'डिप्रेशन की शिकार महिलाएं सेक्सुअल रिलेशन से खुश नहीं'

शनिवार, 1 अगस्त 2009


एक सर्वे के मुताबिक महिलाओं की खुशी उनकी सेक्सुअल सटिसफेक्शन से जुड़ी है। सर्वे की मानें तो डिप्रेशन और इनफर्टिलिटी की शिकायत के साथ आई 80 फीसदी महिलाएं अपने पति के साथ सेक्सुअल रिलेशन को लेकर से खुश नहीं है।
दरअसल जमाना बदल रहा है। सोच बदल रही है। जानकारी, जागरुकता और जरूरतें बढ़ रही हैं। साथ ही बुलंद हो रही है हक मांगने की आजादी। कुछ ऐसा ही रंग रूप है 21 वीं सदी का। इस बदलते दौर में महिलाएं पुरुषों से कदम से कदम मिला कर चल रही हैं। हर क्षेत्र में उन्हें टक्कर दे रही हैं। लेकिन एक मामले में वो पुरुषों से पीछे हैं। जिसमें उनका हक चाहे-अनचाहे पुरुषों से कुछ कम है।

लेकिन परेशानी का सबब ये कि इस बात से वो खुद भी वाकिफ नहीं है। पुरुष के साथ निजी रिश्ते में दबाई गईं इच्छाएं और अपने मन पर किया नियंत्रण उनके मानसिक संतुलन को बिगाड़ सकता है।

यही नहीं कई डॉक्टरों ने अपने अस्पताल में डिप्रेशन, इनफर्टिल्टी और फैमिली काउंसलिंग के लिए आने वाली महिलाओं के साथ एक शोध किया। इस सर्वे के ज़रिए उन्होंने महिलाओं में डिप्रेशन की वजह ढूंढनी चाही। नतीजा चौंकाने वाला निकला।

सर्वे में खुलासा हुआ कि डिप्रेशन की शिकायत के साथ आई 80 फीसदी महिलाएं अपने पति के साथ निजी संबंधों में खुश नहीं थीं। बल्कि वो अपने स्वभाव में आए बदलाव, शादी में पैदा हुई कड़वाहट और बच्चा ना पैदा कर पाने की परेशानी को अपने शारीरिक संबंध की फ्रस्ट्रेशन से जोड़ कर देख ही नहीं पा रही थीं।

सेक्स एजुकेशन की ज़रूरत है। वो अपने शरीर को समझती नहीं है। दरअसल सब माइन्ड से लिन्कड है। हैरान करने वाली बात ये है कि सभी महिलाएं किसी एक उम्र या इकॉनिमिक क्लास की नहीं हैं।

मल्टीनैश्नल में काम करने वाली महिलाओं से लेकर सरकारी दफ्तर में नौकरीपेशा महिलाओं और गृहिणियों तक में डिप्रेशन और इनफर्टिलिटी की यही वजह पाई गई। यानी सेक्स एजुकेशन की कमी सभी वर्ग की महिलाओं और पुरुषों में हैं। ज़ाहिर है सोसाइटी में सेक्स एजुकेशन के बारे में बातचीत करने पर लगे अनकहे बैन की वजह से जीवन का ये अहम हिस्सा, खुशी की जगह अब परेशानी का सबब बन रहा है।