घटिया प्रदर्शन जारी, भारत टी-20 वर्ल्ड कप से बाहर

रविवार, 9 मई 2010

टीम इंडिया का वर्ल्ड कप में शर्मनाक प्रदर्शन जारी है। ऑस्ट्रेलिया से हारने के बाद टीम इंडिया अब वेस्टइंडीज से भी हार गई। यानी टीम इंडिया 2010 टी-20 वर्ल्ड कप से बाहर हो चुकी है। अब कोई करिश्मा ही भारत को सेमीफाइनल की दौड़ में वापस ला सकती है। वेस्टइडीज के खिलाफ 170 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी टीम इंडिया सिर्फ 155 रन ही बना पाई। वेस्टइंडीज के खिलाफ मैच में एक भी भारतीय बल्लेबाज नहीं चला।

किंग्सटन ओवल में रविवार को खेले गए ट्वेंटी-20 विश्व कप के सुपर-8 मुकाबले में वेस्टइंडीज ने भारत को 14 रनों से हरा दिया।

वेस्टइंडीज द्वारा पेश किए गए 170 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए भारतीय टीम 20 ओवरों में नौ विकेट पर 155 रन ही बना सकी।

भारत की तरफ से सुरेश रैना सबसे ज्यादा 32 रन बनाकर आउट हुए। वहीं, मुरली विजय सात, गौतम गंभीर 15, रोहित शर्मा पांच, युवराज सिंह 12, यूसुफ पठान 17, महेंद्र सिंह धौनी 29, हरभजन सिंह 14 और आशीष नेहरा शून्य बनाकर पेवेलियन लौट गए।

वेस्टइंडीज की तरफ से केमर रॉच ने दो विकेट लिए। इसके अलावा डरेन सैमी, जेरोम टेलर, ड्वेन ब्रावो, कीरोन पोलार्ड, क्रिस गेल और सुलेमान बेन ने एक-एक खिलाड़ी को आउट किया।

टॉस हारने के बाद पहले बल्लेबाजी करते हुए वेस्टइंडीज ने निर्धारित 20 ओवरों में छह विकेट के नुकसान पर 169 रन बनाए।

वेस्टइंडीज की तरफ से कप्तान क्रिस गेल ने सबसे ज्यादा 98 रन बनाए। उन्होंने 66 गेंदों का सामना करते हुए पांच चौके और सात छक्के लगाए लेकिन शतक बनाने से चूक गए।

टीम का पहला विकेट 80 रन के स्कोर पर शिवनारायण चंद्रपाल के रूप में गिरा। चंद्रपाल 29 गेंद पर 23 रन बनाकर नेहरा की गेंद पर आउट हुए। धौनी को कैच थमाने से पहले उन्होंने अपनी पारी में दो चौके लगाए। इसके बाद 119 के स्कोर पर सैमी आउट हुए। उन्होंने 10 गेंद पर 19 रन बनाए जिसमें दो चौके और एक छक्का शामिल था।

वेस्टइंडीज को तीसरा झटका 160 रन के स्कोर पर लगा जब कीरोन पोलार्ड 11 गेंद पर 17 रन बनाकर आउट हुए इस पारी में उन्होंने दो छक्के लगाए। अंतिम ओवर में वेस्टइंडीज का चौथा विकेट 163 रन के स्कोर पर गिरा जब ड्वेन ब्राओ एक रन बनाकर आउट हुए।

पांचवें विकेट के रूप में राम नरेश सरवन बिना खाता खोले आउट हुए उस समय टीम का स्कोर 164 रन था। छठा विकेट कप्तान क्रिस गेल के रूप में गिरा। वह रन आउट हुए उस समय टीम का स्कोर 165 रन था।

भारत की तरफ से आशीष नेहरा ने 35 रन देकर तीन खिलाड़ियों को आउट किया। वहीं जहीर खान और रवींद्र जडेजा को एक-एक विकेट मिला।

पिच गीली होने के कारण मैच आधा घंटा विलंब से शुरू हुआ। टॉस से ठीक पहले अचानक आई बारिश ने पिच को गीला कर दिया था। इसके बावजूद मैच को 20-20 ओवरों का कराने का फैसला किया गया।

IAS टॉपर बने शाह फैसल

गुरुवार, 6 मई 2010

श्रीनगर के डॉक्टर शाह फैसल ने सिविल सर्विस परीक्षा-2009 में सर्वोच्च स्थान हासिल कर साबित कर दिया है कि मेहनत ही सफलता कुंजी है। उन्होंने ये मुकाम प्रथम प्रयास में ही हासिल कर लिया। शाह फैसल के पिता आतंक हमले के शिकार हो गए थे।
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) में इस बार कुल 875 उम्मीदवरों में से 680 पुरुष और 195 महिलाओं को प्रतिष्ठित भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय विदेश सेवा, भारतीय पुलिस सेवा और अन्य केंद्रीय सेवाओं के लिए चयनित किया गया।
फैशल ने श्रीनगर से एमबीबीएस किया और उन्होंने पहले प्रयास में ही यह सफलता हासिल की है। उन्होंने एमबीबीएस की डिग्री हासिल करने के बाद आईएएस की तैयारी में जुट गए। और प्रथम प्रयास में ही मुकाम को पा लिया। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली से बीटेक करने वाले प्राकाश राजपुरोहित ने दूसरा स्थान हासिल किया, वहीं जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की इवा सहाय तीसरा स्थान हासिल करने में सफल रहीं। सहाय महिला उम्मीदवारों में शीर्ष पर हैं।
यूपीएससी के मुताबिक टॉप करने वाले 25 लोगों में से 15 पुरुष और 10 महिलाएं शामिल हैं।
सिविल सेवा परीक्षा-2009 के लिए कुल 409,101 उम्मीदवारों ने आवेदन किया था। प्रारंभिक परीक्षा में 193,091 उम्मीदवार शामिल हुए थे और 12,026 परीक्षार्थी मुख्य परीक्षा के लिए सफल हुए थे।
मार्च-अप्रैल 2010 के दौरान साक्षात्कार के लिए कुल 2,432 उम्मीदवारों का चयन किया गया था।

निरुपमा के नाम पिता का खत

बुधवार, 5 मई 2010

महिला पत्रकार निरुपमा की हत्या की गुत्थी उलझती जा रही है। इस बीच एक खत सामने आया है। जो निरुपमा के पिता ने निरुपमा के नाम लिखा है। जिसमें कई राज छुपे हैं। चिट्ठी में निरुपमा के नाम से उसके पिता ने शुरू किया है.....
तुम्हारा नाम मैंने निरुपमा रखा था जिसका अर्थ है जिसकी कोई उपमा न दी जा सके। ये शब्द शंकराचार्य जी के क्षमापनस्त्रोत्रम से मैंने लिया था। वाक्य है- मयि निरुपम यत्प्रकुरुषे। तुमने जो कदम उठाया है या उठाने जा रही हो, मैं कहूंगा कि सनातन धर्म के विपरीत कदम है। आदमी जब धर्म के अनुकूल आचरण करता है तो धर्म उसकी रक्षा करता है और जब धर्म के प्रतिकूल आचरण करता है तो धर्म उसका विनाश कर देता है।
पिता ने आगे लिखा- भारतीय संविधान में यह प्रावधान है कि वयस्क लोग अपनी मर्जी से विवाह के बंधन में बंध सकते हैं। लेकिन हमारे संविधान को बने महज 60 साल ही हुए हैं इसके विपरीत हमारा धर्म सनातन कितना पुराना है कोई बता नहीं सकता है। अपने धर्म एवं संस्कृति के अनुसार उच्च वर्ण की कन्या निम्न वर्ण के वर के साथ व्याही नहीं जा सकती है। इसका प्रभाव हमेशा अनिष्टकर होता है। थोड़ी देर तक तो यह सब अच्छा लगता है लेकिन बाद में समाज, परिवार के ताने जब सुनने पड़ते हैं तो पश्चाताप के अलावा कुछ नहीं मिलता है। इस तरह के कदम से लड़का लड़की दोनों के परिवार दुखी होते हैं। मां, बाप, भाई, बहन जब दुखी होते हैं तो उनकी इच्छा के विरुद्ध काम करनेवाला जीवन में कभी सुखी नहीं होगा। ये सब चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात वाली कहावत के समान है।
धमेन्द्र पाठक

‘कसाब शैतान का नुमाइंदा है’

मंगलवार, 4 मई 2010

मुंबई हमले के गुनहगार पाकिस्तानी आतंकवादी आमिर अजमल कसाब की जिंदगी और मौत का फैसला चंद घंटों बाद हो जाएगा। सरकारी वकील उज्जवल निकम की मानें तो कसाब पर नरमी बरतना भारी गलती होगी। निकम तो एक ही रट लगा रहे हैं कि कसाब को फांसी की सजा दी जाए। अदालत में अपनी दलील रखते हुए निकम ने कसाब को शैतान का नुमाइंदा और किलिंग मशीन तक करार दिया।
दरअसल मुंबई पर 26/11 के आतंकी हमलों को अंजाम देने के सभी आरोपों में दोषी ठहराए गए पाकिस्तानी आतंकवादी मोहम्मद अजमल आमिर कसाब को अभियोजन पक्ष के वकील उज्जवल निकम ने 'शैतान का नुमाइंदा' और 'हत्या की मशीन' करार दिया।
निकम की मानें तो "कसाब के लिए अधिकतम सजा मृत्युदंड और न्यूनतम आजीवन कारावास है।"
निकम ने कहा, "मैं कसाब के लिए सजा-ए-मौत चाहूंगा। यह बदले की भावना नहीं है और न ही हम बर्बर न्याय चाहते हैं। बल्कि न्याय मिलना चाहिए।"
कसाब के मामले में निकम ने कहा यह सिर्फ लोगों की हत्या का मामला नहीं है बल्कि जिस बर्बर तरीके से इसे अंजाम दिया गया उसने समाज के सामूहिक चेतना को हिलाकर रख दिया।
उन्होंने कहा कि कसाब ने लोगों की केवल हत्या ही नहीं की बल्कि इस कृत्य का मजा भी ले रहा था। यह उसके अनैतिक व्यवहार और मानव जीवन की पूर्ण उपेक्षा को दर्शाता है।
वकील ने कसाब आदमी के वेष में जहरीला सांप है जो बार-बार काटना चाहता है। इसकी तुलना किसी से करना गलत होगा। ये मानवता के नाम पर कलंक है।

दरअसल 26 नवंबर 2008 की रात जब वह छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पहुंचा तो ज्यादा भीड़ न देखकर दुखी हो गया।
उन्होंने कहा कि कसाब और उसका सहयोगी अबू इस्माइल ज्यादा से ज्यादा लोगों को मारना चाहते थे लेकिन उनकी यह इच्छा पूरी नहीं हुई। इसलिए वह दुखी हो गए थे। यह उनके अंदर 'पशु की भावना' को प्रदर्शित करती है।
मालूम हो कि 26 नवंबर, 2008 की रात पाकिस्तान से आए 10 आतंकवादियों ने मुंबई के विभिन्न स्थानों पर हमला बोला था। लगभग 60 घंटे तक इन आतंकवादियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच चले संघर्ष में 166 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 244 घायल हो गए थे।

‘मनु शर्मा को उम्रकैद की सजा गलत’

रविवार, 2 मई 2010


जेसिका लाल हत्याकांड के मुख्य दोषी मनु शर्मा को उम्रकैद की सजा सुनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के पास पुख्ता सबूत नहीं था। सरकार ने मनु शर्मा के खिलाफ झूठे गवाह बनाए। मनु शर्मा ने किसी भी सबूत के साथ छेड़छाड़ नहीं की। ये कहना पूर्व कानून मंत्री और जाने-माने वकील राम जेठमलानी का है। न्यूज चैनल आईबीएन7 से खास बातचीत में जेठमलानी ने ये बातें कही।
जेठमलानी की मानें तो उन्होंने कभी नैतिकता से समझौता नहीं किया, विवेक ने जो कहा वो कदम उन्होंने उठाया। उनका कहना है कि जनता वकालत के बारे में नहीं जानती, वो केवल भावनाओं के पीछे भागती है। मीडिया जो दिखाती है जनता उसी को सच मान लेती है, जो कि गलत है।
जब उनसे पूछा गया कि मनु शर्मा को हरएक जनता दोषी मान रही है तो फिर आपकी नजर में मनु कैसे निर्दोष है। इस सवाल के जवाब में जेठमलानी ने कहा कि मनु शर्मा के खिलाफ पुख्ता सबूत नहीं था कि उसने सबूत के साथ छेड़छाड़ की। मनु के खिलाफ सरकार से झूठे गवाह तैयार किए। यही नहीं, जेठमलानी मनु की उम्रकैद की सजा को सही नहीं मानते।
वहीं चर्चित रुचिका केस के बारे में जेठमलानी का कहना है कि 19 साल बाद फिर से ऱाठौर के खिलाफ केस दर्ज करना गलत है। उन्होंने कहा कि राठौर ने कोई रेप किया था वो केवल छेड़छाड़ का मामला था।
इसके अलावा गोधरा केस के बारे में जेठमलानी का तर्क है कि उन्होंने उस केस को गुजरात से बाहर इसलिए सुनवाई की मांग की, क्योंकि वहां कुछ पुलिस अधिकारी केस को प्रभावित करने में लगे थे। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार एसआईटी में फेरबदल चाहती थी, जो कि गलत है। एसआईटी सही जांच कर रही है।
आखिर में उनसे पूछा गया कि आप केवल विवादित केस ही क्यों लड़ते हैं, क्या आप पैसों के खातिर और सुर्खियों में बने रहने के लिए ये सब करते हैं? इस सवाल के जवाब में जेठमलानी ने कहा कि उन्हें पब्लिसिटी की जरूरत नहीं है। जहां तक पैसे कमाने की बात है तो वो 90 फीसदी केस मुफ्त में लड़ते हैं।