मेरे पास अमिताभ है...!

शुक्रवार, 5 फ़रवरी 2010

एक नाम जो कई माइने-आइने दिखाता है, वो नाम हर वो बोली बोलता है। कभी दहाड़ता है तो कभी झुककर अभिवादन भी करता है। कहावत है कि एक सिक्के के दो पहलू होते हैं, परंतु इसे सिक्के में दो पहलू तो हैं लेकिन दोनों एक जैसे!

इनकी ऐसी सधी चाल जिसमें अगर जीत पक्की ना हो, लेकिन हार भी नहीं होती। भले ही इस दामन पर कुछ बदनुमा दाग हो, लेकिन फिर भी इनके आगे विरोधी नहीं टिकते, अपनों ने तो मानो घुटने की टेक दिए हों। जी हां, हम बात करे रहे हैं राजनीति के धुरंधर नरेन्द्र मोदी की।

मोदी वैसे तो पर्दे पर दहाड़ने और विरोधियों पर तीखे प्रहार के लिए जाने जाते हैं। लेकिन कभी-कभी ये पर्दे के पीछे से भी ऐसा तीर चलाते हैं। जिससे विरोधी घायल ही नहीं, चीखने लगता है। आखिर चीखे भी क्यों नहीं! मोदी ऐसी चाल ही चलते हैं जिससे सामने वाले को डंक लग जाता है। और फिर दुहाई का सिलसिला चलता है। लेकिन बेफ्रिक मोदी जोर का झटका जोर से ही देते हैं।

हाल ही में मोदी ने सुपरस्टार अमिताभ बच्चन को अपने कारवां में शामिल कर शतरंज की नई बिसात रच दी है। मोदी के आमंत्रण पर अमिताभ बच्चन गुजरात टूरिज्म के ब्रांड एम्बेसडर बनने को तैयार हो गए हैं। जल्द ही अमिताभ मोदी सरकार का गुणगान करते नजर आएंगे। यानी मोदी की धुन पर बिग बी थिरकने वाले हैं।

मोदी के नगर में अमिताभ की डगर को देख विरोधियों ने दुहाई देने का सिलसिला शुरू भी कर दिया है। आखिर लड़ाई की धुरी में अमिताभ बच्चन जो हैं। कांग्रेस ने तो यहां तक कह डाला कि अमिताभ गलत जगह फंस गए हैं। मोदी अपनी दागदार छवि को सुधारने के लिए अमिताभ को मोहरा बनाया है। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि आखिर कांग्रेस को ये सब कहने की जरूरत क्यों आन पड़ी?

क्या ये कांग्रेस की झुंझलाहट नहीं है। हां, झुंझलाहट होना लाजिमी है, बात जो अमिताभ बच्चन की है। जो कभी पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के बेहद करीबी माने जाते थे। लेकिन समय के साथ सबकुछ बदल गया, राजनीति, किरदार और तो और दोस्ती के मायने भी बदल गए। आज अमिताभ सबसे बड़े सुपरस्टार हैं लेकिन कांग्रेस के हाथ के साथ नहीं हैं।

अमिताभ का मशहूर डायलॉग 'मैं जहां पे खड़ा होता हूं लाइन वहीं से शुरू होती है' आज के अमिताभ के किरदार के साथ बिल्कुल फिट बैठता है। क्योंकि आज अमिताभ जहां खड़े होते हैं बॉलीवुड वहीं से शुरू होता है। यूं कहें एक कुली, दीवार और जंजीर को तोड़ते हुए नि:शब्द होकर सरकार की परवाह किए बिना शोले, वक्त और आग पर चलते हुए एक मासूम की किरदार में प्रकट होते हैं। आज वो हर एक किरदार जो अमिताभ से होकर ही गुजरता है। गुजरे भी कैसे नहीं, 40 साल की कड़ी मेहनत जो है इसके पीछे।

ये तो बात हुई अमिताभ की जो बॉलीवुड में प्रयोग के लिए जाने जाते हैं। लेकिन राजनीति में मोदी भी अमिताभ से कुछ कम नहीं। भले ही राजनीति में मोदी की लकीर ना हों। लेकिन मोदी को राजनीति को नया मोड़ देने में महारत हासिल है। मौका देखकर चौका लगाना वो अच्छी तरह से जानते हैं। ऐसा चौका जिसको मारने में कोई खतरा नहीं। क्योंकि मोदी राजनीति के अखाड़े से इतनी तो कल्पना कर ही लेते हैं कि अगर गेंद कुछ देर और हवा में होती तो शायद छक्का ही होता। यानी मोदी की एक ऐसी शॉट जिसपर आउट होने का कोई खतरा नहीं।

साफ शब्दों में कहें तो मोदी ने अमिताभ को ब्रांड एम्बेसडर के लिए राजी कर राजनीति के अखाड़े में एक जोरदार शॉट लगाया है। जिसके पीछे कांग्रेस भाग रही है लेकिन उसके हाथ कुछ भी नहीं आएगी। कोई कुछ कहे, लेकिन मोदी कभी-कभी अपनी अकेले की चाल से कांग्रेस पर भारी पड़ जाते हैं।

दरअसल मोदी ने 'पा' क्या देखी ऑरो को ही गोद ले लिया। और राजनीति के गलियारों में हलचल मच गई। लेकिन इस हलचल से अमिताभ और मोदी दोनों बेफ्रिक हैं। मानो दो बिछड़े एक-दूसरे के सहारे के लिए साथ हो गए हैं। आखिर ये तो होना ही था। क्योंकि अमिताभ के मुंहबोले छोटे भाई अमर सिंह खुद साइकिल से उतर चुके हैं तो वहां अमिताभ की क्या पूछ। अमिताभ भी कहते हैं वो तो बस एक कलाकार हैं और लोगों का मनोरंजन करते हैं। हां, ये अलग बात है कि कुछ साल पहले ये साइकिल पर सवार होकर यूपी में जुर्म करने होने का ऐलान किया करते थे। और अब मोदी का भगवा झंडा बुलंद करेंगे। किसी ने सच ही कहा है कि समय बड़ा बलवान होता है।