हर तीसरा भारतीय डिप्रेशन का शिकार
बुधवार, 27 जुलाई 2011विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक सर्वे कर ये जानने की कोशिश की कि वो कौन सा देश है जहां डिप्रेशन के सबसे ज्यादा मामले आते हैं। इस सर्वे के नतीजे बेहद ही चौंकाने वाले हैं। जी हां, दुनिया के कई विकसित और विकासशील देशों में भारत ही वो देश है जहां सबसे ज्यादा लोग डिप्रेशन का मरीज बन रहे हैं। डिप्रेशन एक ऐसी बीमारी है जो विकराल रूप ले ले तो कुछ भी हो सकता है। डिप्रेशन का शिकार मरीज अचानक पूरे समाज से कट जाता है और अगर वक्त पर इलाज नहीं मिला तो मरीज खुदकुशी तक कर लेता है। यूं तो डिप्रेशन दिमाग की एक दशा होती है, लेकिन अगर ये गंभीर रूप ले ले, तो इसे कहा जाता है MDE यानि मेजर डिप्रेसिव एपिसोड।
WHO ने ये सर्वे दुनिया भर के 18 देशों में किया। करीब 90 हजार लोगों का इंटरव्यू किया गया इनमें 36 फीसदी लोग भारत में MDE यानि मेजर डिप्रेसिव एपिसोड का शिकार हैं। दूसरे नंबर पर है फ्रांस। फ्रांस में 32.3 फीसदी लोग MDE के शिकार हैं। तीसरे नंबर पर है दुनिया का सबसे विकसित माना जाने वाला देश अमेरिका। यूएस में 30.9 फीसदी लोग डिप्रेशन के शिकार हैं। इस सूची में सबसे नीचे है चीन। जहां डिप्रेशन रेट है महज 12 फीसदी।
दुनिया भर में 121 मिलियन लोग डिप्रेशन का शिकार होते हैं। जिनमें से 8.5 लाख लोग डिप्रेशन के चलते अपनी जान तक दे देते हैं। बात करें भारत की तो सर्वे के मुताबिक आमतौर पर मिडल एज में ही लोग डिप्रेस रहते हैं। भारत में डिप्रेशन के शिकार लोगों की औसत उम्र 32 साल के आसपास है। इससे भी चौंकाने वाली बात ये है कि भारत में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में ज्यादा डिप्रेशन है। पुरुष और महिलाओं के बीच का 2:1 का अनुपात है। मतलब ये कि दो महिलाओं पर एक पुरुष को डिप्रेशन है। महिलाओं के डिप्रेस होने के पीछे बड़ा कारण है साथी। वजह चाहे तलाक हो, या फिर साथ छूट जाना, या फिर मौत।
भारत में लोग डिप्रेशन को एक उदासी की तरह ही देखते हैं और ऐसे में लोग डिप्रेशन के बारे में विशेषज्ञों से राय लेने से कतराते हैं जिसका नतीजा काफी घातक हो जाता है। डिप्रेशन एक डिसआर्डर है, जिसमें उदासी की भावना किसी इंसान को दो हफ्ते या इससे भी ज्यादा लंबे वक्त तक घेरे रहती है। इससे लाइफ में उसकी दिलचस्पी कम हो जाती है। उसमें निगेटिव फीलिंग्स भी आ जाती हैं। किसी काम के अच्छे नतीजे की उसे बिल्कुल आशा नहीं रहती।
डिप्रेशन में किसी भी इंसान को अपना एनर्जी लेवल लगातार घटता महसूस होता है। इस तरह की भावनाओं से वर्कप्लेस पर किसी भी इंसान की परफॉर्मेंस पर असर पड़ता है। उसकी रोजमर्रा की जिंदगी भी प्रभावित हुए बिना नहीं रहती। इस तरह के डिप्रेशन को क्लिनिकल डिप्रेशन कहा जाता है।
डिप्रेशन के लक्षण :-
- लगातार उदासी से घिरे रहना
- बेचैनी महसूस करना
- चिड़चिड़ापन महसूस करना
- जिंदगी से कोई उम्मीद न होना
- हर वक्त जिंदगी को बोझ मानना
- मनपसंद काम से भी मन ऊबना
- शरीर में एनर्जी लेवल कम महसूस होना
- नींद न आना
- तड़के नींद खुल जाना
- भूख कम लगने से लगातार वजन गिरना
- मन में खुदकुशी जैसे बुरे ख्याल आना
ऐसा नहीं है कि डिप्रेशन सिर्फ पुरुषों या महिलाओं में होता है। बल्कि डिप्रेशन के शिकार आज की तारीख में बच्चे भी हो रहे हैं। स्कूल जाने वाले बच्चों में डिप्रेशन का मामला लगातार ज्यादा देखा जा रहा है और यही वजह है कि बच्चों में सुसाइड की घटना पहले से बढ़ी हैं। बड़ी बात ये है कि बच्चों में डिप्रेशन के कारण बहुत छोटे-छोटे होते हैं। पैरेंट्स की उम्मीदों पर पढ़ाई में खरा न उतरना, घर में दो बच्चों की तुलना से किसी एक बच्चे में डिप्रेशन आ जाना, मां-बाप के आपसी संबंध ठीक न रहने से बच्चे में डिप्रेशन आ जाना।
सवाल उठता है कि डिप्रेशन को दूर कैसे भगाएं? डॉक्टरों के मुताबिक डिप्रेशन को खत्म करने का सबसे बड़ा हथियार है आत्मविश्वास। अगर आप आत्मविश्वास से भरपूर हैं तो ये मान कर चलें कि आप अपने आसपास को भी संतुष्ट रखेंगे। मतलब ये कि असंतोष डिप्रेशन का एक बड़ा कारण है। असंतोष की वजह से आपमें नकारात्मक सोच पनपेगी और यही धीरे-धीरे डिप्रेशन का रूप ले लेगा। इसलिए जरूरी है कि आप खुद का आत्मविश्वास बनाए रखें। एनर्जी लेवल कम न होने दें।
दूसरी सबसे बड़ी चीज है हर हाल में खुश रहना। डॉक्टर कहते हैं कि हर हाल में खुश रहिए क्योंकि खुशी ही हमारी सेहत का मूलमंत्र है। डिप्रेशन का सबसे बड़ा टॉनिक है खुशनुमा माहौल, अच्छी बातें, अच्छी किताबों का साथ और पॉजीटिव थिंकिंग।
डिप्रेशन से बचने का तीसरा बड़ा उपाय है अपने तौर-तरीकों में बदलाव। अपने काम करने के तरीके में छोटे-मोटे बदलाव। मतलब ये कि इस दौरान आप अपने अधूरे शौक को पूरा करने की कोशिश करें। टारगेट बनाएं और किसी काम को पूरा करने के छोटे-छोटे लक्ष्य निर्धारित करें। ऐसा करने से डिप्रेशन नहीं होगा। छोटे-छोटे लक्ष्य पूरे होने पर आत्मविश्वास बढ़ता रहेगा और तनाव पास नहीं आएगा।
इसके अलावा अगर फिर भी आपका डिप्रेशन खत्म नहीं हो रहा हो, तो फौरन डॉक्टर से मिलें। डॉक्टरों की तरफ से दी जाने वाली थेरेपी और दवाओं का इस्तेमाल करें। लेकिन इस बात का ख्याल रखें कि आपका डिप्रेशन लंबे समय तक कायम न रहे नहीं तो ये घातक भी साबित हो सकता है।