भारत एक दुश्मन अनेक

सोमवार, 9 मार्च 2009

कहते हैं अच्छा पड़ोसी खुशियां लाता है। परेशान पड़ोसी दर्द देता है। लेकिन यहां तो भारत को पड़ोसियों से दर्द नहीं बल्कि आग मिल रही है। भारत चौतरफा घिर चुका है। और सबसे डरा देने वाली बात ये है कि ये खतरा एक साथ नहीं आने वाला। बल्कि टुकड़ों-टुकड़ों में भारत को नुकसान पहुंचाने वाला है।पाकिस्तान की सेना ने 90 के दशक में भारत को नुकसान पहुंचाने के लिए एक रणनीति बनाई। जिसे नाम दिया मिशन थाउजेंड कट्स यानि एक हजार वार। छोटे-छोटे। जो भारत को लगातार तबाह करते रहें। कौन करता ये वार। पाकिस्तानी सेना ने खोजे आतंकवादी। उन्हें जन्म दिया। पाला पोसा। और आज वो उसी को खा रहे हैं। पाकिस्तान खुद तबाह हो चुका है। लेकिन थाउजेंड कट्स का जो बम उसने बनाया उसके छर्रे से भारत भी घायल हो रहा है लगातार। लेकिन इस बार ये खतरा छोटा नहीं है। अब तालिबान पाकिस्तान पर कब्जे की कोशिश कर रहा है। और अगर नक्शे में तालिबान के राज की ताजा स्थिति देखें तो वो भारत से महज पांच घंटे की दूरी पर है। और उसे आगे बढ़ने से पाकिस्तान भी नहीं रोक सकता।सूत्रों के मुताबिक देश की खुफिया एजेंसियों ने कैबिनट कमेटी को एक रिपोर्ट सौंपी है। जिसमें साफ कहा गया है कि भारत चौतरफा खतरों से घिर चुका है। जिसमें सबसे बड़ा खतरा तालिबान से है। भारत में छुपे बैठे उसके लोग उससे जेहाद के नए तरीके सीखकर नए तरीके से हमले करने से गुरेज नहीं करेंगे। ये भी तय है कि पाकिस्तान की कमजोर सरकार उन्हें रोक नहीं पाएगी। लाहौर पर हमला हुआ श्रीलंका टीम पर। ये सबकुछ भारत की सीमा से महज आधे घंटे की दूरी पर हुआ। और इस हमले ने ये साबित कर दिया कि लश्कर की पहुंच से कुछ भी दूर नहीं। तो लाहौर से आधे घंटे की दूरी पर अमृतसर महफूज कैसे हो सकता है।भारत के दक्षिणी मुहाने पर एलटीटीई घात लगाकर बैठा है। वहां से आगे बढ़े तो बांग्लादेश में आतंकी भारत में घुसने की फिराक में हैं। वहां पर बीडीआर की बगावत ने कोढ़ में खाज का काम किया है। लिट्टे के लड़ाके हजारों भारतीय सैनिकों की जान ले चुके हैं। राजीव गांधी की हत्या का पाप इनके सिर पर है। अब श्रीलंका की सेना इनकी गुर्राहट बंद कर रही है। लेकिन क्या ये खत्म हो जाएंगे। ये ऐसा सवाल है जिससे भारत भी जूझ रहा है। ऐसी आशंका है कि लिट्टे के कई खूंखार लड़ाके समुद्री रास्ते से भारत में पनाह ले रहे हैं। और वो देश में एक नए विवाद को जन्म दे सकते हैं। अपनी जन्मभूमि से बेदखल होकर वो भारत में एक नया उत्पात खड़ा कर सकते हैं। यही नहीं भारत में अपने संपर्कों को वो पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनों लश्कर ए तैयबा और हरकत उल मुजाहिदिन जैसे संगठनों की मदद के लिए भी इस्तेमाल कर सकता है।बांग्लादेश सरकार ने कहा है कि बीडीआर की बगावत में बाहरी हाथ था। यानि बाहरी हाथ की साजिश ने पूरे बांग्लादेश को हिला दिया। जाहिर है ये हाथ यहीं नहीं रुकेंगे। ये वही हाथ हैं जो भारत के खिलाफ बांग्लादेश में आतंकवादी कैंप चलाते हैं। उल्फा को हथियार देते हैं। हूजी से हाथ मिलाते हैं। ये हाथ आईएसआई का भी हो सकता है। बीडीआर की बगावत के बाद ये हाथ और मजबूत हो गए हैं। क्योंकि बांग्लादेश की भारत से सटी सीमा की रक्षा बी़डीआर के जवान करते हैं। उनके बिगड़ने के बाद भारत में घुसपैठ और हथियारों की तस्करी और आसान हो जाएगी। साथ ही बांग्लादेश की अस्थिरता का आतंकी अपने हित में हर तरह से इस्तेमाल करेंगे।खतरे का एक सिरा जाकर मिलता है नेपाल में। जहां आईएसआई कुंडली मारकर बैठी है। नेपाल में वो अपनी जड़े मजबूत कर रही है। भले ही उसका देश तालिबान के मुंह में जा रहा है। लेकिन उसकी तो सांस इसी बल पर चलती है कि वो भारत के खिलाफ साजिशें रचता है। अपनी सेना के नापाक गठजोड़ से भारत को चोट पहुंचाता है। क्या इसका कोई हल है। कौन करेगा भारत के इस सिरदर्द का अंत।भारतीय खुफिया एजेंसियों ने कैबिनेट कमेटी को जो रिपोर्ट सौंपी है उसमें साफ साफ लिखा है कि नेपाल में मौजूद पाकिस्तानी दूतावास आईएसआई का सबसे बड़ा अड्डा बन चुका है। ऐसा अड्डा जिसमें मौजूद ज्यादातर अफसर भारत के खिलाफ गतिविधियों में लगे हुए हैं। जी हां यही अधिकारी नेपाल में भारत विरोधी साजिशों को हवा देते हैं। नेपाल में मौजूद अधिकारी वो सबकुछ करते हैं जो भारत में अस्थिरता फैला सके।तो सारे पड़ोसी देशों में भारत के खिलाफ साजिश रचने वाला कोई न कोई है। आखिर इससे निपटने का हल क्या है।

1 टिप्पणियाँ:

media.face ने कहा…

बराबर लिखते रहें