'डिप्रेशन की शिकार महिलाएं सेक्सुअल रिलेशन से खुश नहीं'
शनिवार, 1 अगस्त 2009Posted by
media.face
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एक सर्वे के मुताबिक महिलाओं की खुशी उनकी सेक्सुअल सटिसफेक्शन से जुड़ी है। सर्वे की मानें तो डिप्रेशन और इनफर्टिलिटी की शिकायत के साथ आई 80 फीसदी महिलाएं अपने पति के साथ सेक्सुअल रिलेशन को लेकर से खुश नहीं है।
दरअसल जमाना बदल रहा है। सोच बदल रही है। जानकारी, जागरुकता और जरूरतें बढ़ रही हैं। साथ ही बुलंद हो रही है हक मांगने की आजादी। कुछ ऐसा ही रंग रूप है 21 वीं सदी का। इस बदलते दौर में महिलाएं पुरुषों से कदम से कदम मिला कर चल रही हैं। हर क्षेत्र में उन्हें टक्कर दे रही हैं। लेकिन एक मामले में वो पुरुषों से पीछे हैं। जिसमें उनका हक चाहे-अनचाहे पुरुषों से कुछ कम है।
लेकिन परेशानी का सबब ये कि इस बात से वो खुद भी वाकिफ नहीं है। पुरुष के साथ निजी रिश्ते में दबाई गईं इच्छाएं और अपने मन पर किया नियंत्रण उनके मानसिक संतुलन को बिगाड़ सकता है।
यही नहीं कई डॉक्टरों ने अपने अस्पताल में डिप्रेशन, इनफर्टिल्टी और फैमिली काउंसलिंग के लिए आने वाली महिलाओं के साथ एक शोध किया। इस सर्वे के ज़रिए उन्होंने महिलाओं में डिप्रेशन की वजह ढूंढनी चाही। नतीजा चौंकाने वाला निकला।
सर्वे में खुलासा हुआ कि डिप्रेशन की शिकायत के साथ आई 80 फीसदी महिलाएं अपने पति के साथ निजी संबंधों में खुश नहीं थीं। बल्कि वो अपने स्वभाव में आए बदलाव, शादी में पैदा हुई कड़वाहट और बच्चा ना पैदा कर पाने की परेशानी को अपने शारीरिक संबंध की फ्रस्ट्रेशन से जोड़ कर देख ही नहीं पा रही थीं।
सेक्स एजुकेशन की ज़रूरत है। वो अपने शरीर को समझती नहीं है। दरअसल सब माइन्ड से लिन्कड है। हैरान करने वाली बात ये है कि सभी महिलाएं किसी एक उम्र या इकॉनिमिक क्लास की नहीं हैं।
मल्टीनैश्नल में काम करने वाली महिलाओं से लेकर सरकारी दफ्तर में नौकरीपेशा महिलाओं और गृहिणियों तक में डिप्रेशन और इनफर्टिलिटी की यही वजह पाई गई। यानी सेक्स एजुकेशन की कमी सभी वर्ग की महिलाओं और पुरुषों में हैं। ज़ाहिर है सोसाइटी में सेक्स एजुकेशन के बारे में बातचीत करने पर लगे अनकहे बैन की वजह से जीवन का ये अहम हिस्सा, खुशी की जगह अब परेशानी का सबब बन रहा है।
दरअसल जमाना बदल रहा है। सोच बदल रही है। जानकारी, जागरुकता और जरूरतें बढ़ रही हैं। साथ ही बुलंद हो रही है हक मांगने की आजादी। कुछ ऐसा ही रंग रूप है 21 वीं सदी का। इस बदलते दौर में महिलाएं पुरुषों से कदम से कदम मिला कर चल रही हैं। हर क्षेत्र में उन्हें टक्कर दे रही हैं। लेकिन एक मामले में वो पुरुषों से पीछे हैं। जिसमें उनका हक चाहे-अनचाहे पुरुषों से कुछ कम है।
लेकिन परेशानी का सबब ये कि इस बात से वो खुद भी वाकिफ नहीं है। पुरुष के साथ निजी रिश्ते में दबाई गईं इच्छाएं और अपने मन पर किया नियंत्रण उनके मानसिक संतुलन को बिगाड़ सकता है।
यही नहीं कई डॉक्टरों ने अपने अस्पताल में डिप्रेशन, इनफर्टिल्टी और फैमिली काउंसलिंग के लिए आने वाली महिलाओं के साथ एक शोध किया। इस सर्वे के ज़रिए उन्होंने महिलाओं में डिप्रेशन की वजह ढूंढनी चाही। नतीजा चौंकाने वाला निकला।
सर्वे में खुलासा हुआ कि डिप्रेशन की शिकायत के साथ आई 80 फीसदी महिलाएं अपने पति के साथ निजी संबंधों में खुश नहीं थीं। बल्कि वो अपने स्वभाव में आए बदलाव, शादी में पैदा हुई कड़वाहट और बच्चा ना पैदा कर पाने की परेशानी को अपने शारीरिक संबंध की फ्रस्ट्रेशन से जोड़ कर देख ही नहीं पा रही थीं।
सेक्स एजुकेशन की ज़रूरत है। वो अपने शरीर को समझती नहीं है। दरअसल सब माइन्ड से लिन्कड है। हैरान करने वाली बात ये है कि सभी महिलाएं किसी एक उम्र या इकॉनिमिक क्लास की नहीं हैं।
मल्टीनैश्नल में काम करने वाली महिलाओं से लेकर सरकारी दफ्तर में नौकरीपेशा महिलाओं और गृहिणियों तक में डिप्रेशन और इनफर्टिलिटी की यही वजह पाई गई। यानी सेक्स एजुकेशन की कमी सभी वर्ग की महिलाओं और पुरुषों में हैं। ज़ाहिर है सोसाइटी में सेक्स एजुकेशन के बारे में बातचीत करने पर लगे अनकहे बैन की वजह से जीवन का ये अहम हिस्सा, खुशी की जगह अब परेशानी का सबब बन रहा है।
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