‘इंसाफ के घर देर, अंधेर नहीं’

गुरुवार, 6 अगस्त 2009


आखिरकर मुंबई में 2003 में हुए दोहरे बम धमाके के तीनों दोषियों को सजा मिल ही गई। उन परिवारों को आज अपनों के खोने के दुख के साथ-साथ सुख का भी ऐहसास हुआ होगा, जो पिछले 6 साल से इंसाफ की बाट जोह रहे थे। आज उन आत्माओं को भी शांति मिली होगी जो बिना किसी गुनाह के मौत के शिकार हो गए थे। साथ ही कोर्ट ने साबित कर दिया कि कानून सभी के लिए एक समान होता है। चाहे स्त्री हो या पुरुष। गुनहगार केवल कानून की नजर में गुनहगार होता है।
मुंबई की विशेष अदालत पोटा ने तीनों दोषियों को फांसी की सजा सुनाई। इन तीनों को कोर्ट ने मुंबई की जावेरी बाजार और गेटवे ऑफ इण्डिया पर हुए दो धमाकों के लिए दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाया। अदालत ने अशरत अंसारी, हनीफ सैयद और हनीफ की बीवी फहमीदा सैयद को फांसी की सजा सुनाई।

दरअसल इंसाफ के तराजू पर ये पहला मामला रहा जब अदालत ने पति-पत्नी दोनों को एक साथ फांसी की सजा सुनाई हो।
फैसले आने के बाद सरकारी वकील उज्जवल निकम ने कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इससे आतंकी सबक लेंगे। निकम ने शुरू के दिन से ही तीनों के लिए फांसी की सजा की ही मांग कर रहे थे।
पोटा अदालत ने इन तीनों को 25 अगस्त 2003 को जावेरी बाजार और गेटवे ऑफ इंडिया पर हुए दो जबर्दस्त धमाकों के लिए दोषी पाया था। इन धमाकों में 56 लोगों की मौत हुई थी जबकि 180 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे।
मालूम हो कि इससे पहले मुंबई की विशेष पोटा अदालत 4 अगस्त को ही दोषियों को सजा का ऐलान करने वाली थी। लेकिन कई घंटे बहस चलने के बाद इसे आज के लिए टाल दिया गया था। मंगलार को अदालत में तीनों दोषी अपने किए से मुकर गए थे। हनीफ और अशरत ने कहा था कि वो निर्दोष हैं। जबकि इस बम कांड की इकलौती महिला आरोपी फहमीदा सैय्यद ने ये कहकर सनसनी मचा दी थी कि एक महिला कभी आतंकवादी नहीं हो सकती।
दरअसल अदालत ने जांच में पाया कि जावेरी बाजार और गेटवे ऑफ इंडिया ब्लास्ट की साजिश लश्कर-ए-तैयबा ने रची और ये साजिश दुबई में रची गई थी। धमाके की जिम्मेदारी दुबई में ही काम करने वाले हनीफ सैय्यद को सौंपी गई थी। हनीफ ने अपने परिवार के साथ मिलकर गेटवे ऑफ इंडिया के धमाके को अंजाम दिया था।
जबकि जावेरी बाजार पर अशरत अंसारी ने ब्लास्ट किया था। दोनों धमाकों में आरडीएक्स का इस्तेमाल किया गया था।

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